मध्य प्रदेश

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भोपाल। अगले वित्त वर्ष में बिजली की कीमतें बढ़ने के आसार कम हैं। तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने एनुअल रेवेन्यू रिक्वायरमेंट (एआरआर) के लिए कोई अतिरिक्त राशि की मांग नहीं की है। वितरण कंपनियों की ओर से पॉवर मैनेजमेंट कंपनी विद्युत नियामक आयोग में एआरआर जमा कराती है। आयोग ने 22 जनवरी तक एआरआर जमा करने को कहा है।
एआरआर के आधार पर ही आयोग टैरिफ तय करता है। बिजली कंपनी के अफसर अनौपचारिक बातचीत में यह स्वीकार कर रहे हैं कि मई में लोकसभा चुनाव और साल के अंत में नगरीय निकाय के चुनाव देखते हुए बिजली दरों में वृद्धि की संभावना नहीं है। फरवरी तक घोषित नहीं हुआ तो जून के बाद ही घोषित होगा टैरिफ: विद्युत नियामक आयोग मार्च के अंतिम सप्ताह में बिजली टैरिफ जारी करता है। यदि इस बार फरवरी तक टैरिफ घोषित नहीं हुआ तो यह जून के बाद ही घोषित होगा। लोकसभा चुनाव के लिए फरवरी अंत से लेकर मार्च के पहले सप्ताह के बीच कभी भी आचार संहिता लागू होने की संभावना है। 2014 में 5 मार्च को आम चुनाव की घोषणा हुई थी और 16 मई तक चुनाव की प्रक्रिया चली थी। आचार संहिता के दौरान न तो जन सुनवाई हो पाएगी और न टैरिफ घोषित हो सकेगा। लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के करीब एक महीने बाद यानी जून में टैरिफ घोषित हो पाएगा।

भोपाल. ग्वालियर। मकर संक्रांति के बाद सर्दी से राहत की बात सोच रहे हैं तो ये बाद दिमाग से निकाल दे। क्योंकि इस बार संक्रांति के बाद भी कड़ाके की सर्दी के दो से तीन दौर और आ सकते हैं। इसका कारण, कश्मीर घाटी में बर्फबारी का दौर जारी है। सोमवार से हवाओं का रुख बदलने से एक बार फिर कंपाने वाली सर्दी का दौर शुरू हो जाएगा।
मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एक दो दिन बाद उत्तरी हवा एक बार फिर पारे को गिराएगी। प्रति चक्रवात के कारण शनिवार को पूर्वी और दक्षिण पूर्वी हवा चलने से रात के तापमान में जरूर थोड़ा सा इजाफा हुआ है। क्या कहते हैं वैज्ञानिक: मौसम विज्ञानी डॉ. डीपी दुबे के अनुसार चक्रवात में हवाएं चारों तरफ से आकर एक जगह एकत्रित होती हैं। अगर कहीं से इन हवा के साथ नमी आ रही है तो वह बादल बन जाते हैं और बरसात की संभावना बढ़ जाती है। प्रति चक्रवात में हवा दूर-दूर हो जाती हैं। इससे बादल नहीं बनते तथा मौसम में गरमाहट आ जाती है। 

भोपाल: वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक पीके साहा ने बताया कि शनिवार को दिन का तापमान 25.1 डिग्री दर्ज किया गया। इसमें 1.3 डिग्री का इजाफा हुआ। यह सामान्य रहा। दिन में हल्की धूप निकली, लेकिन शाम चार बजे तक ठंडी हवा नहीं चली। शुक्रवार को दिन का तापमान 23.8 डिग्री दर्ज किया गया था। रात का तापमान 10.1 डिग्री दर्ज किया गया। इसमें भी 1.3 डिग्री की बढ़ोतरी हुई। यह छह दिन बाद 10 डिग्री के पार पहुंचा। एक दिन पहले रात का तापमान 8.8 डिग्री दर्ज किया गया था। मौसम विशेषज्ञ एसके नायक का कहना है कि 15- 16 और इसके एक दिन बाद 18 जनवरी को हिमालय के पश्चिमी हिस्से में वेस्टर्न डिस्टरबेंस के पहुंचने का अनुमान है। अभी तापमान में ज्यादा बदलाव होने की संभावना नहीं है, लेकिन 19 जनवरी से यहां ठंड बढ़ सकती है। मिल रहे ट्रेंड के मुताबिक अभी आने वाले दिनों में ठंड के एक दो दौर और आ सकते हैं।

ग्वालियर: पूर्वी और दक्षिण- पूर्वी हवा चलने के कारण शनिवार को सुबह 8:30 बजे तापमान 8.2 डिग्री सेल्सियस रहा। बीते रोज सुबह 8:30 बजे तापमान 6.6 डिग्री सेल्सियस रहा था। इसी तरह शाम 5:30 बजे तापमान 19 डिग्री रहा है जबकि शुक्रवार को शाम 5:30 बजे तापमान 18.8 डिग्री रहा था। मौसम विभाग के अनुसार शनिवार को अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 5.1 डिग्री सेल्सियस रहा।

इंदौर: अभी हवा का रुख दक्षिण-पूर्व बना हुआ है। इस कारण दिन-रात का तापमान सामान्य से ज्यादा हो गया। शनिवार को अधिकतम तापमान 27.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से 1 डिग्री ज्यादा रहा। वहीं शुक्रवार रात न्यूनतम तापमान 2 डिग्री बढ़कर 11.1 डिग्री रहा जो सामान्य से 1 डिग्री ज्यादा है। सुबह 9 बजे तक ठंड रही, लेकिन दिन चढ़ते ही इसमें कमी आई। मौसम सुधरने से लोगों को राहत मिली। तेज ठंड होने से पत्ती, फली जलने की स्थिति में आ जाती है। सामान्य तापमान रहने से फसलों को फायदा होता है। हालांकि मावठा नहीं गिरने से किसानों को सिंचाई के इंतजाम करना पड़ रहे हैं। ठंड में भी देर रात से अलसुबह के बीच सिंचाई करने खेत में जाना पड़ता है। मौसम विभाग का मानना है 14 जनवरी के बाद ठंड का दौर फिर आएगा। उत्तर में बर्फबारी शुरू होने से मालवा में भी ठंडक बढ़ेगी। प्रदेश की बात की जाए तो खजुराहो में सबसे कम 3 डिग्री तापमान रिकॉर्ड हुआ।

भोपाल . सात जनवरी से शुरू हो रहे मध्यप्रदेश विधानसभा सत्र के पहले हॉर्स ट्रेडिंग की खबरों से सियासी गलियारों में शनिवार को सुबह से लेकर रात तक खलबली मची रही। कांग्रेस राजधानी के बाहरी हिस्सों के होटलों में रुके अपने विधायकों को एकजुट करने में जुटी रही। पार्टी महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह दिन में कई बार इन होटलों में विधायकों से मिलने पहुंचे। सूत्रों के अनुसार जिन विधायकों पर कांग्रेस को आशंका है कि वे अध्यक्ष के चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं, दिग्विजय उनसे ही बात करते रहे। वहीं सरकार को समर्थन देने वाले दो निर्दलीय विधायकों केदार डाबर और विक्रम सिंह राणा से दिनभर कांग्रेस नेता संपर्क करते रहे, पर देर रात तक दोनों विधायकों से संपर्क नहीं हो सका।
शेरा को बनाया जा सकता है मंत्री
कांग्रेस के बड़े नेताओं ने बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह ठाकुर (शेरा) से संपर्क किया है और उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का आश्वासन भी दिया गया है। इसके अलावा असंतुष्टों में पार्टी के करीब एक दर्जन ऐसे विधायक हैं जो पहली बार जीतकर आए हैं और उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के दिग्गजों को हराया है, इनमें कई विधायक बुंदेलखंड से भी हैं।
नाथ ने कहा- विधायक जानते हैं उन्हें क्या करना
दिग्विजय सिंह द्वारा भाजपा के दो पूर्व मंत्रियों नरोत्तम मिश्रा और भूपेंद्र सिंह पर लगाए गए हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपों पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को जवाब दिया। पार्टी दफ्तर में भाजयुमो की बैठक में पहुंचे शिवराज ने कहा कि कांग्रेस सरकार अल्पमत की है। लेकिन यह भी सही है कि उनका संख्या बल भाजपा से ज्यादा है। इसलिए हमने पहले ही दिन स्पष्ट कर दिया था कि भाजपा सरकार नहीं बनाएगी। सीएम कमलनाथ ने कहा कि विरोधी दल कितना भी प्रयास कर लें, मध्यप्रदेश में विधायक समझदार हैं, उन्हें पता है क्या करना है।

भोपाल . खुशबू खान...हां, मैं उसी जूनियर महिला हॉकी टीम की सदस्य हूं जिसने अर्जेंटीना के यूथ ओलिंपिक में अपने देश का नाम रोशन किया था। अब भारतीय महिला हाॅकी की टीम में सिलेक्शन को लेकर प्रयास कर रही हूं। हमारा शहर देश के सबसे स्वच्छ शहर में दूसरे पायदान पर है। मेरा दर्द इतना है कि ओडीएफ का तमगा मिलने के बाद भी यहां कई जगह अनदेखी है। मैं और मेरा परिवार अाज भी खुले में टॉयलेट जाने को मजबूर है। क्योंकि ठीक एक साल पहले जनवरी में ही नगर निगम ने मेरे घर(जहांगीराबाद स्थित वेटनरी कॉलोनी परिसर) के सामने बने टॉयलेट को अतिक्रमण बताकर तोड़ दिया था। इंटरनेशनल खिलाड़ी होने के बावजूद निगम को मुझपर और मेरे परिवार पर तरस नहीं आया। निगम का अमला तो मेरे पूरे घर को ही तोड़ने पर आमदा था, लेकिन मैंने इसका विरोध किया और एडीएम दिशा नागवंशी, तत्कालीन कलेक्टर निशांत वरवड़े आैर भोपाल की चौपाल में अपनी परेशानी बताई। उन्हें बताया कि मैं अपनी प्रैक्टिस के लिए हॉकी कैंप में हिस्सा लेने के लिए शहर से बाहर रहती हूं। इस हर वक्त यह चिंता सताती है कि निगम मेरा आशियाना न तोड़ दे। इसलिए कहीं पर मुझे पक्का मकान दिला दिया जाए ताकि मै बेफिक्र होकर प्रैक्टिक कर सकूं। महापौर ने आश्वासन दिया था कि मुझे पक्का मकान टीटी नगर स्टेडियम के पास दिलाया जाएगा। बकायदा निगम के अपर आयुक्त प्रदीप जैन ने हाउसिंग फॉर ऑल के तहत मकान देने की पात्रता का सर्टिफिकेट भी दिया। उस बात को एक साल बीत चुका है। न मकान मिला और न ही घर के बाहर तोड़ा गया टॉयलेट निगम ने दोबारा बनाया।
खुशबू को मकान क्यों नहीं मिला, इसकी जांच होगी
शहर की बेटी खुशबू को मकान देने के लिए जो वादा मैंने किया था। उसे पूरा करुंगा। अभी तक मकान क्यों नहीं मिला। इसकी जानकारी भी ले रहा हूं। इसकी जांच होगी। खुशबू को जल्द घर दिलाने के लिए अफसरों से बात की जाएगी। आलोक शर्मा, महापौर

मध्यप्रदेश में साल 2005 में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने वंदे मातरम गाने की परंपरा शुरू की थी। सरकारी कर्मचारी महीने के पहले कार्यदिवस पर राष्ट्रीय गीत गाया करते थे। इस परंपरा को कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद खत्म करने का आदेश दिया था। जिसपर की भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई थी। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना था कि वह इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करेंगे। अमित शाह ने भी राहुल गांधी से पूछा था कि क्या यह उनका आदेश है।
 
 
 
काफी विरोध के बाद कमलनाथ सरकार ने यू टर्न लेते हुए आदेश वापस ले लिया है। सरकार का कहना है कि अब केवल सरकारी कर्मचारी नहीं बल्कि आम जनता भी वंदे मातरम गाएगी। इसके लिए पुलिस बैंड का मार्च निकाला जाएगा। जिसमें आगे बैंड, पीछे कर्मचारी और सबसे पीछे आम जन शामिल होंगे। यह कार्यक्रम महीने के पहले कार्यदिवस पर आयोजित किया जाएगा।

वंदे मातरम को लेकर विवाद की शुरुआत नए साल पर हुई थी जब कमलनाथ ने हर महीने की एक तारीख को मंत्रालय में गाए जाने वाले वंदे मातरम को बंद करने का फैसला लेकर सियायत गर्म कर दी थी। इस परंपरा के तहत मंत्रालय के सभी कर्मचारी महीने की पहली तारीख को परिसर में इकट्ठा होकर एकसाथ मिलकर राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' गाया करते थे। इससे पहले भी वंदे मातरम को लेकर सियासत होती रही है।

क्या है पूरा मामला

एक जनवरी मंगलवार को वंदे मातरम का गायन होना था। मगर इसकी सूचना न तो बैंड वालों को और न ही कर्मचारियों को दी गई। जबकि सामान्य प्रशासन एक हफ्ते पहले ही इसकी रूपरेखा तय करने के साथ गायन के लिए मुख्य अतिथि का भी निर्धारण करता था। कांग्रेस सरकार के इस कदम ने राज्य की सियासत में भूचाल लाने का काम किया। भाजपा ने कांग्रेस पर तुरंत हमला बोलते हुए पूछा कि क्या अब भारत माता की जय बोलने से भी रोका जाएगा।

कांग्रेस सरकार द्वारा वंदे मातरम् का गायन बंद करने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने कहा कि वह मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से इस बारे में बात करेंगे। इसे बंद करना ठीक नहीं है। सियासी घमासान मचने पर मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभांशु कमल को वंदेमातरम की फाइल सहित बुलाया। थोड़ी देर बाद मुख्य सचिव एसआर मोहंती भी वहां पहुंचे।

फाइल में गायन के शुरू किए जाने से लेकर अभी तक का ब्यौरा दिया गया था। अधिकारियों की तरफ से मुख्यमंत्री को तर्क दिया गया कि मंत्रालय में 3,000 कर्मचारी और अधिकारी हैं जिसमें से मुश्किल से 200-300 लोग गायन के लिए पहुंचते हैं। ऐसी राष्ट्रवादिता का क्या मतलब है? कमलनाथ सरकार सभी स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रगान को अनिवार्य करने की तैयारी में है। लोकसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार इसपर फैसला करके लागू करेगी।

इसके बाद सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ने एलान किया था कि भाजपा के सारे विधायक सचिवालय में वंदे मातरम गाएंगे। उन्होंने कहा था, 'हमारे सभी 109 विधायक 7 जनवरी 2019 को मध्यप्रदेश सचिवालय में वंदे मातरम गाएंगे।' वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं ने सचिवालय के बाहर प्रदर्शन भी किया था। भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने ट्वीट करते हुए कहा था कि राष्ट्र गीत गाए जाने की जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग की है जो फिलहाल सीएम के पास है।
 

शिरडी। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को यहां कहा कि वह ‘‘जोड़ तोड़’’ की राजनीति में भरोसा नहीं रखते हैं। शिवराज ने मंगलवार दोपहर बाद अपने परिवार के सदस्यों के साथ यहां साईं बाबा के मंदिर में दर्शन किये। एक सवाल के जवाब में भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि जीत और हार लोकतंत्र का हिस्सा है। शिवराज ने कहा, ‘‘हाल ही में हुए चुनावों में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत पाने में विफल रही है जबकि भाजपा को पहले से अधिक मत मिले हैं। मैं ‘जोड़ तोड़’ अथवा ‘घटिया’ राजनीति में विश्वास नहीं रखता हूं। सबसे अधिक विधायक वाली पार्टी (सबसे बड़ी पार्टी) को सरकार चलाने का अधिकार होना चाहिए।’’ अगर कांग्रेस सरकार जनहित के काम करती है तो प्रमुख विपक्षी पार्टी होने के नाते भाजपा सहयोग करेगी लेकिन ऐसा नहीं होने पर पार्टी विरोध करेगी।

मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी के ऐलान बारे में पूछे जाने पर चौहान ने कहा कि केवल कर्ज माफ कर देना किसानों की मदद के लिए पर्याप्त नहीं है। मध्य प्रदेश में बहुत कम अंतर से हारने वाली भाजपा के नेता से जब यह पूछा गया कि क्या वह दिल्ली की राजनीति में सक्रिय होंगे तो इस पर उन्होंने विरोधाभासी बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पार्टी एक ईमानदार कार्यकर्ता हूं। पार्टी मुझे जो कहेगी मैं करूंगा। लेकिन मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि मैं मध्य प्रदेश के 7.5 करोड़ जनता से जुड़ा हूं।’’ यह पूछने पर सात जनवरी से शुरू हो रहे विधानसभा के सत्र में उनका क्या रूख होगा, पूर्व मुख्यमंत्री ने हलके अंदाज में कहा, ‘‘मैं सात जनवरी को कोई ‘शिव तांडव’ नहीं करूंगा।’’ 

इंदौर के मेदांता हॉस्पिटल में चल रहा था इलाज
मल्टी ऑर्गन फेल्योर होने के कारण उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था
महिदपुर से कांग्रेस विधायक रह चुकी कल्पना तेजतर्रार नेता मानी जाती थीं
इंदौर. कांग्रेस नेत्री व पूर्व विधायक डॉ. कल्पना परूलेकर (61) का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उन्हें 18 दिसंबर को गंभीर हालत में इंदौर के मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। दूसरे दिन ही डॉक्टरों ने उन्हें मल्टी ऑर्गन फेल्योर होने के कारण वेंटिलेटर पर रख दिया था। तब से उनका इलाज चल रहा था। अस्पताल के डॉ संदीप श्रीवास्तव ने इसकी पुष्टि की है।
21 दिसंबर को स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद डॉ. परूलेकर को इंदौर के मेदांता हॉस्पिटल में आईसीयू में भर्ती किया गया था। उनका इलाज चल रहा था, लेकिन हालत गंभीर होने पर वह भर्ती होने के बाद से ही लगातार वेंटिलेटर पर थीं। बुधवार सुबह 9.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। डॉ. परुलेकर का अंतिम संस्कार उनके गृहस्थान महिदपुर में आज शाम होगा।
सुर्खियों में रहती थी कल्पना
कांग्रेस की तेजतर्रार नेता कल्पना अक्सर सुर्खियों में रहती थी। पिछले साल 17 अप्रैल को भोपाल की जिला अदालत ने पूर्व विधायक परूलेकर को एक साल की जेल और दो हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी। उन्होंने तत्कालीन प्रमुख सचिव भगवानदेव इसरानी की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। इस मामले में इसरानी ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके पहले भी लोकायुक्त नावलेकर को संघ के गणवेश में दिखाते हुए फोटो जारी करने के मामले में भी परूलेकर को सजा मिली थी।

हर महीने की पहली तारीख को मंत्रालय के सामने वाले पार्क में होता था गायन
शिवराज सरकार के आदेश को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किया रद्द
भोपाल. मंत्रालय के सामने वाले पार्क में हर महीने की पहली तारीख को होने वाले वंदेमातरम् गायन पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रोक लगा दी है। उनके इस आदेश के विरोध में भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने वल्लभ भवन के सामने उसी जगह वंदे मातरम् गाया जहां हर महीने होता था। इसके बाद जमकर नारेबाजी की।
शिवराज सिंह सरकार ने निर्देश जारी किया था कि हर महीने की पहली तारीख को सभी कर्मचारी वंदेमातरम् का गायन करेंगे। उनका तर्क था कि इससे कर्मचारियों में देशभक्ति की भावना पैदा होगी। सरकार बदलने के बाद अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि वंदेमातरम् गायन में 3000 में से सिर्फ 300 कर्मचारी ही पहुंचते हैं। इस पर कमलनाथ ने कहा कि जो लोग वंदेमातरम् नहीं गाते क्या वह देशभक्त नहीं है। यह किसी एजेंडे के तहत लिया गया निर्णय है। इसे खत्म किया जाए।
कमलनाथ के निर्देश के बाद एक जनवरी को वल्लभ भवन के बाहर वंदेमातरम् गायन नहीं हुआ। इस पर भाजपा कार्यकर्ता नाराज हो गए और बुधवार सुबह 11 बजे वल्लभ भवन पहुंचकर वंदेमातरम का गायन किया। पूर्व मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि सालों से चली आ रही परंपरा को बंद करना प्रदेश का दुर्भाग्य है। शिवराज सिंह ने भी ट्वीट करके अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा- अगर सरकार इस परंपरा को फिर से शुरू नहीं करती तो 7 जनवरी को वह वल्लभ भवन के सामने जाकर वंदेमातरम् का गायन करेंगे।

इंदौर. जनवरी की 14 तारीख को ख्यात शायर कैफ़ी आज़मी के जन्म के सौ साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर इंदौर के कलाकारों ने रूपांकन संस्था के तहत एक कैलेंडर तैयार किया है। कैफ़ी साहब के मुंबई स्थित आवास जानकी-कुटीर में 10 जनवरी को इसे रिलीज़ किया जाएगा। 7 पन्नों के इस कैलेंडर में उनकी नज़्मों और गीतों के अंश हैं। कवर पेज पर शायर-गीतकार जावेद अख़्तर की नज़्म छपी है : 'अज़ीब आदमी था वो...'। कैफ़ी आज़मी के जन्म शताब्दी वर्ष (14 जनवरी 1919-14 जनवरी 2019) पर जारी होने वाले इस कैलेंडर के लिए उनके एक रंगीन और 6 ब्लैक एंड व्हाइट पोर्ट्रेट्स शहर के चित्रकार सफदर शामी ने बनाए हैं। शहर के ही कलाकार अशोक दुबे ने कैलिग्राफी की है, जबकि इसकी रूपरेखा अरविंद मंडलोई ने तैयार की। कवर पर कैफ़ी साहब का कलर पोर्ट्रेट है। इसका शीर्षक है- 'कैफ़ी आज़मी: मेहनतकशों का साथी, अवाम का शायर, जन्म शताब्दी वर्ष पर सलाम'। 
अरविंद मंडलोई बताते हैं कि कैफ़ी साहब के दामाद जावेद अख़्तर से बातों-बातों में जन्म शताब्दी वर्ष का जिक्र निकला तो इस कैलेंडर की परिकल्पना साकार हुई। चित्रकार सफदर शामी कहते हैं कि मुझे शबाना आज़मी ने कैफ़ी साहब के आठ फोटो भेजे थे। इसमें से सात फोटो चुनकर मैंने एक रंगीन और 6 ब्लैक एंड व्हाइट पोर्टेट्स बनाए।
कैलिग्राफी कलाकार अशोक दुबे कहते हैं कि कैलेंडर पर जिन नज़्मों, गज़लों और गीत के अंशों का इस्तेमाल किया है वह कैफियत पुस्तक से लिए गए हैं। इस वर्ष देशभर के कुछ शहरों में कार्यक्रमों की शृंखला होगी और इसके तहत एक कार्यक्रम इंदौर में भी होगा, जिसमें जावेद अख़्तर, कैफ़ी साहब की बेटी शबाना आज़मी, तबला वादक ज़ाकिर हुसैन, संगीतकार-गायक शंकर महादेवन शिरकत करेंगे।

मेला ग्राउंड के पास कुशवाह मोहल्ले की घटना- टीवी सीरियल में सुसाइड सीन देखकर नकल कर रहा था मनीष
ग्वालियर . टीवी पर सीरियल में सुसाइड सीन देखकर सोमवार सुबह एक 14 साल के किशोर ने फांसी लगा ली। किशोर ने अपनी मां के दुपट्टे का फंदा बनाकर गले में डाला और घूमने लगा। पास में ही उसकी 8 साल की बहन और छोटा भाई खेल रहे थे।
घूमते-घूमते दुपट्टे में अंटे लग गए और फांसी लग गई। फांसी लगते ही किशोर छटपटाया और उसकी आंखें बंद हो गई। छोटी बहन ने जब देखा तो वह दौड़कर भाई को बचाने गई, उसने फंदा खोलने का प्रयास भी किया लेकिन फंदा नहीं खोल पाई। वह भागकर पड़ोसी को बुलाकर लाई, लेकिन तब तक किशोर की सांसें थम चुकी थीं। उसे अस्पताल भी ले गए लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। यह दर्दनाक घटना गोला का मंदिर क्षेत्र की है। किशोर के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद पुलिस ने परिजनों के सुपुर्द कर दिया। भिंड के रहने वाले पुत्तूलाल शाक्य पेशे से किसान हैं। पढ़ाई के लिए उन्होंने अपनी पत्नी और तीनों बच्चों को तीन साल पहले ग्वालियर में शिफ्ट कर दिया। उनकी पत्नी कमला बड़ा बेटा मनीष, बेटी अंजलि उम्र 8 साल और बेटा कपिल उम्र 7 साल मेला ग्राउंड के पास स्थित कुशवाह मोहल्ला में किराए से रहते थे। पुत्तूलाल भिंड में ही रहते हैं। कमला भी यहां नौकरी करती है। सोमवार सुबह 10 बजे वह काम पर निकल गई। घर में तीनों बच्चे थे। सुबह करीब 11 बजे मनीष, अंजलि और कपिल एक ही कमरे में खेल रहे थे। मनीष टीवी पर एक सीरियल देख रहा था।
अचानक वह अंदर से अपनी मां का दुपट्टा उठाकर लाया। कमरे में ही कपड़े टांगने के लिए तार लगा हुआ था। तार पर उसने दुपट्टा डालकर फंदा बनाया। जब वह यह काम कर रहा था तो उसके छोटे, भाई बहन भी देख रहे थे। उन्हें कुछ समझ ही नहीं आया। फंदा उसने गले में डाला और गोल गोल घूमने लगा। अचानक फंदा कस गया और वह बेहोश होने लगा। कुछ देर तक जब कोई हलचल नहीं हुई तो उसकी बहन ने देखा। उसने फंदा खोलने की कोशिश की। फंदा न खुलने पर भागकर गई और पड़ोसी को बुलाकर लाई। पड़ोसी आए और तुरंत फंदा खोलकर उसे जमीन पर लिटाया।
एंबुलेंस को सूचना दी तो कुछ देर में एंबुलेंस आ गई। एंबुलेंस जेएएच लेकर पहुंची, जहां उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल से पुलिस को सूचना दी गई। घटना की सूचना मिलने पर उसके पिता भी ग्वालियर आ गए। इसके बाद शव का पोस्टमार्टम हुआ। पुत्तूलाल खुद कम पढ़े लिखे हैं। बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा सकें, इसके लिए ग्वालियर में शिफ्ट कराया। बेटे को बड़ा अफसर बनाना चाहते थे लेकिन उनका यह सपना टूट गया। पीएम हाउस पर बेटे का शव देखकर रो पड़े। उसकी मां भी बेसुध हो गई।
3 माह में तीसरा हादसा, खेल-खेल में चली गई मासूमों की जान
28 सितंबर: रुचि उर्फ राधिका पुत्री स्व. सुनील रायकवार उम्र 11 साल गले में दुपट्टा डालकर खेल रही थी, तभी फांसी लगने से उसकी मौत हो गई।
3 दिसंबर: गोला का मंदिर स्थित रचना नगर के रहने वाले रामखिलाड़ी के 12 साल के बेटे देवेंद्र ने खेल-खेल में मां के दुपट्टे से फांसी लगा ली थी।

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