मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश (8847)

सरकार ने इस साल चुनाव से पहले फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया था, अब 5 जुलाई को पूर्ण बजट पेश होगा
अरुण जेटली के पद छोड़ने के बाद वित्त मंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण पहली बार बजट पेश करेंगी
नई दिल्ली. एनडीए सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट अगले महीने 5 जुलाई को पेश करेगी। देश की नई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि वे बजट पर ऑनलाइन साझा किए गए विचारों और सुझावों का स्वागत करती हैं। उनकी टीम हर सलाह का विश्लेषण कर रही है।
सीतारमण ने ट्वीट में कहा, “प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के जरिए साझा किए गए विद्वानों, अर्थशास्त्रियों और समर्थकों के विचारों और सुझावों के लिए आभार। मैं इनमें से ज्यादातर को खुद पढ़ती हूं। साथ ही मेरी टीम भी इन सुझावों पर नजर रखती है। इनका काफी महत्व है। शुक्रिया। बजट के लिए विचार और सुझाव आते रहने चाहिए।’’
जेटली के रिटायरमेंट के बाद मिली जिम्मेदारी
पिछली सरकार में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली के रिटायरमेंट के ऐलान के बाद एनडीए-2 में सीतारमण को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही उन्हें कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय भी दिया गया है। इससे पहले एनडीए-1 में उन्होंने रक्षा मंत्री का पद संभाला था। सीतारमण ने 30 मई को वित्त मंत्री के तौर पर पदभार संभाला था।
छह कैबिनेट कमेटियों में सीतारमण को जगह
बुधवार को सरकार ने अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर आठ कैबिनेट कमेटियों का पुनर्गठन किया है। इनमें 6 कैबिनेट कमेटियों में सीतारमण को रखा गया है। कैबिनेट कमेटी ऑन इन्वेस्टमेंट एंड ग्रोथ, कैबिनेट कमेटी ऑन एम्प्लॉयमेंट एंड स्किल डेवलपमेंट और कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी में उनकी भागीदारी अहम रहेगी।

मुरैना का मामला, ये घड़ियाल 1.20 मीटर के होने पर चंबल में छोड़े जाएंगे
मुरैना. चंबल नदी में घड़ियालों का परिवार धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को देवरी घड़ियाल केंद्र पर अंडों से निकले 8 बच्चों के बाद नए शावक घड़ियालों की संख्या 233 हो गई है। वहीं चंबल में 1265 से अधिक घड़ियाल विचरण कर रहे हैं। अभी 25 अंडों से बच्चे निकलना शेष हैं। घड़ियाल शावकों का संरक्षण तीन वर्ष तक देवरी घड़ियाल केंद्र पर किया जाएगा।
चंबल का 485 किमी क्षेत्र घड़ियाल अभयारण्य: चार दशक पूर्व विश्व में कराए भारतीय प्रजाति के घड़ियालों के सर्वे में 46 घड़ियाल चंबल में मिले थे। इसके बाद 80 के दशक में चंबल नदी के 435 किमी क्षेत्र को घड़ियाल अभयारण्य घोषित किया गया। इनके संरक्षण व संवर्धन के लिए देवरी पर घड़ियाल केंद्र बनाया गया।
देवरी केंद्र पर हर साल रखे जाते हैं घड़ियालों के 200 अंडे: प्रतिवर्ष घड़ियालों के 200 अंडे नदी के विभिन्न घाटों से लाकर देवरी केंद्र पर रखे जाते हैं। यहां इनकी हेचिंग होती है। तीन वर्ष तक इन शावक घड़ियालों का संरक्षण वयस्क होने तक किया जाता है। ग्रो एंड रिलीज कार्यक्रम के अन्तर्गत यह घड़ियाल 1.20 मीटर की लंबाई होने पर नदी में छोड़े जाते हैं।

मंगलवार की रात ग्वालियर से दिल्ली के लिए दक्षिण एक्सप्रेस से हुए थे रवाना
बुधवार सुबह फरीदाबाद के पास चोर ने उड़ाया बैग, जीआरपी ने किया मामला दर्ज
ग्वालियर। बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश में भाजपा सरकार में मंत्री रहे जयभान सिंह पवैया का ग्वालियर से दिल्ली जाते समय ट्रेन से बैग चोरी हो गया। बैग में 47 हजार नगद और एटीएम कार्ड रखा हुआ था। पवैया ने चोरी होने की घटना की शिकायत दिल्ली में हजरत निजामउद्दीन स्थित जीआरपी थाने में कराई है।
जानकारी के अनुसार मंगलवार रात पवैया दक्षिण एक्सप्रेस से ग्वालियर से दिल्ली के लिए फर्स्ट क्लास एसी कोच से रवाना हुए थे। सुबह स्टेशन आने से पहले उनकी नींद खुली तो उन्हें उनका बैग गायब मिला। निजामउद्दीन स्टेशन पर उतरने के बाद पवैया ने घटना की जानकारी जीआरपी को दी और मामला दर्ज कराया।
मामला हाई प्रोफाइल होने के चलते जीआरपी तुरंत हरकत में आई और उसने दिल्ली के नजदीक के स्टेशनों के सीसीटीवी खंगालने शुरू कर दिए। जांच शुरू हुई तो पता चला कि एक युवक को फरीदाबाद स्टेशन पर बैग ले जाते देखा गया है। पुलिस का कहना है चोर ने फरीदाबाद स्टेशन से कुछ देर पहले बैठ उड़ाया था। सीसीटीवी में युवक का फुटेज दिखने के बाद जीआरपी फरीदाबाद स्टेशन के आस-पास के इलाके में जांच की तो पवैया का बैग झाड़ियों में पड़ा मिल गया। इसमें से 47 हजार नगद और एटीएम गायब था। जबकि दस्तावेज और कपड़े ऐसे ही रखे हुए थे।

भोपाल। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) ने वर्ष 2020 का एक्जामिनेशन कैलेंडर जारी कर दिया है। परीक्षा की शुरुआत इंजीनियरिंग सर्विस प्रीलिम्स एक्जामिनेशन से होगी। यह एक्जाम 5 जनवरी 2020 को होगा, हालांकि इसके लिए आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत 25 सितंबर 2019 से होगी, जो 15 अक्टूबर तक चलेगी।
 सिविल प्रीलिम्स और इंडियन फॉरेस्ट सर्विस प्रीलिम्स का आयोजन 31 मई 2020 को किया जाएगा। इसके लिए 12 फरवरी को नोटिफिकेशन जारी होगा और 3 मार्च 2020 तक आवेदन किए जा सकेंगे। इस संबंध में यूपीएससी की ओर से जानकारी उपलब्ध करा दी गई है। अधिक जानकारी के लिए https://upsc.gov.in वेबसाइट पर विजिट की जा सकती है।
इस तारीख में होंगे मेन एक्जामिनेशन
कंबाइंड जियो साइंटिस्ट मेन एक्जामिनेशन 27 जून को होगा। इंजीनियरिंग सर्विस मेन एक्जामिनेशन 28 जून को होगा। एनडीए व एनए एक्जामिनेशन-2, 6 सितंबर को होगा। सिविल सर्विसेज मेन एक्जामिनेशन-2020, 18 सितंबर से होगा। इंडियन फॉरेस्ट सर्विस मेन एक्जामिनेशन 22 नवंबर से होगा। वहीं 12 जून को सीडीएस-2 का नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इसका एक्जाम 8 सितंबर को होगा। यह एक्जाम देशभर एक ही दिन होगा।
 कब-कब होंगे कौन-कौन से एक्जाम
कंबाइंड जियो साइंटिस्ट प्रीलिम्स एक्जाम 19 जनवरी को होगा।
नोटिफिकेशन 25 सितंबर 2019 को जारी होगा।
कंबाइंड डिफेंस सर्विस एक्जामिनेशन-1, 2 फरवरी को होगा, नोटिफिकेशन 30 अक्टूबर को जारी होगा।
सीआईएसएफ एसी एलडीसीई एक मार्च को होगा और नोटिफिकेशन 4 दिसंबर 2019 को जारी होगा।
एनडीए और एनए एक्जामिनेशन का नोटिफिकेशन 8 जनवरी 2020 को जारी होगा और एक्जाम 19 अप्रैल को होगा।
आईईएस आईएसएस का नोटिफिकेशन 25 मार्च 2020 को जारी होगा और 26 जून को एक्जाम होगा।
कंबाइंड मेडिकल सर्विस एक्जामिनेशन का नोटिफिकेशन 8 अप्रैल को जारी होगा और एक्जाम 19 जुलाई को होगा।
सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेस एसी एक्जामिनेशन का आयोजन 9 अगस्त को होगा।

मध्यप्रदेश में भीषण गर्मी के मौसम में अघोषित बिजली कटौती से लोग परेशान हैं। राज्य सरकार की जमकर आलोचना हो रही है और मुख्यमंत्री कमलनाथ को तमाम राजनीतिक पार्टियां घेर रही हैं। इन सब से नाराज मुख्यमंत्री कमलनाथ का गुस्सा मंगलवार को ऊर्जा विभाग के अधिकारियों पर फूट पड़ा।
 
उन्होंने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के सामने तीन विधायकों को फोन लगाया और बिजली कटौती की समस्या पर बातचीत की। इसके बाद कमलनाथ अधिकारियों पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि क्या जनप्रतिनिधि, जनता और मीडिया तीनों झूठ बोल रहे हैं और सिर्फ आप लोग सही हैं। इस बात के कोई मायने नहीं हैं कि आपने क्या किया है, मगर बिजली जा रही है और लोग परेशान हो रहे हैं।

कमलनाथ ने कहा कि हर 20-25 मिनट में बिजली गुल हो जाती है और जब हो-हल्ला होता है तो तुरंत फाल्ट ठीक हो जाता है, यह कैसी व्यवस्था है। दरअसल, बिजली की समीक्षा बैठक के लिए बिजली कंपनी के अधिकारी अपनी उपलब्धियों का प्रेजेंटेशन बनाकर लाए थे। वे मुख्यमंत्री को बताना चाहते थे कि उन्होंने व्यवस्था में सुधार लाने के लिए क्या काम किया है। लेकिन, इसके पहले ही कमलनाथ ने उन्हें जमीनी हकीकत से रू-ब-रू करवा दिया। उन्होंने कहा कि आंकड़ों से मूर्ख न बनाएं। 

 बैठक में मुख्य सचिव एसआर मोहंती, अपर मुख्य सचिव आईसीपी केसरी, विद्युत वितरण कंपनियों के प्रबंध संचालक समेत और लोग भी उपस्थित थे। 

नाराज कमलनाथ ने अधिकारियों को इन बातों पर ध्यान देने को कहा-
  • ऊर्जा विभाग अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव लाए। 
  • उपभोक्ता के घरों में जाने वाले बिजली के कनेक्शन वाले विद्युत तारों का नियमित मेंटेनेंस हो। 
  • मेंटेनेंस के लिए होने वाली कटौती की पूर्व सूचना दी जाए और आम उपभोक्ता की सुविधा से मेंटेनेंस का समय निर्धारित हो। 
  • जून माह तक सभी मेटेंनेंस कार्य को योजनाबद्ध तरीके से पूरा करें। 
  • अघोषित बिजली कटौती पर रोक और तकनीकी खराबियों को प्रशिक्षित अमले द्वारा तत्काल ठीक करने की चाक-चौबंद व्यवस्था करें।

इधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने इस मामले पर कहा कि लोग बिजली और पानी जैसी चीजों के लिए परेशान हो रहे हैं। अपनी नाकामी को छुपाने के लिए यह सरकार हर समस्या का ठीकरा भाजपा के सिर फोड़ने के जतन में लगी रहती है। मूलभूत जरूरत की चीजों के लिए प्रदेश के लोगों को परेशान करने वाली इस सरकार को एक दिन भी सत्ता में बने रहने का हक नहीं है। 

इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि वे यह कहकर नहीं बच सकते कि बिजली कर्मचारी सहयोग नहीं कर रहे। 
 

ग्वालियर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के अवैध कॉलोनियों को वैध करने के फैसले को पलट दिया है। इसके साथ ही वह सभी कॉलोनियां फिर से अवैध हो गईं हैं, जिन्हें वैध किया गया था। हाईकोर्ट ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश जारी किया है। साथ ही कॉलोनियों को वैध करने वाले सर्किल अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कोर्ट का ये फैसला पूरे प्रदेश में लागू माना जाएगा।
 
इस योजना की शुरुआत मई 2018 में मुख्यमंत्री रहते हुए शिवराज सिंह ने ग्वालियर से ही की थी। याचिका कर्ता और एडवोकेट उमेश बोहरे ने कहा था कि प्रदेश की शिवराज सरकार ने 2018 में अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए कई सारी योजनाओं को नियमों के विपरीत लाभ लेने के कोशिश की है। साथ ही इससे शिवराज सरकार को 25 हजार करोड़ का फायदा हुआ।
सरकार द्वारा प्रदेश में बस चुकी अवैध कॉलोनियों को धारा 15 A के तहत वैध किया जा रहा है, जो नियम विरुद्ध है। मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने तत्कालीन प्रदेश सरकार के साथ-साथ मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव राजस्व समेत पांच लोगों को पार्टी बनाया था।
कोर्ट ने अपने आदेश में खत्म की धारा-15 A
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में ऐसे सरकारी सर्वे नंबर पेश किए, जिन्हें नियम विरूद्ध वैध कॉलोनियों में शामिल कर दिया गया। सभी तथ्य जानने के बाद हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार की धारा-15 A को खत्म कर दिया है।
दोषी अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश
इस धारा-15 A जिसके बाद अब फिर से अवैध से वैध हुई कॉलोनियां फिर से अवैध हो गयी हैं। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि अवैध कॉलोनियों को बसाने के दौरान जिम्मेदारों अफसरों के खिलाफ भी निगम की धारा 292 E के तहत कार्रवाई की जाये इसके लिए दोषी उस सर्किल के डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, आरआई, अवैध कॉलोनाइजर के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
6 हजार कालोनियों होनी थी वैध
8 मई 2018 को प्रदेश भर की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी। इसकी शुरुआत ग्वालियर से की गई थी। इसके तहत ग्वालियर नगर निगम सीमा की 690 अवैध कॉलोनियों में पहले चरण में 63 अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की गई थी। इसके साथ ही प्रदेश की 4624 कॉलोनियों  को वैध करने का एलान किया था। लेकिन अब हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद यह कालोनियां फिर से अवैध हो गयी है। हालांकि शिवराज सरकार के समय ही शासन की इस योजना को कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

इससे पहले कोर्ट ने प्रज्ञा के चुनावी व्यस्तता की वजह से पेशी से छूट की अपील को मंजूरी दी थी
मालेगांव ब्लास्ट केस में 7 आरोपी हैं, स्पेशल एनआईए कोर्ट कर रहा सुनवाई
मुंबई. स्पेशल एनआईए कोर्ट ने मालेगांव धमाके की आरोपी और भोपाल से भारतीय जनता पार्टी की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को सप्ताह में एक बार अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। इससे पहले प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित और सुधाकर चतुर्वेदी को अदालत में पेशी से छूट मिली हुई थी। तीनों ने याचिका में चुनावी व्यस्तता और निजी परेशानियों का हवाला देकर अदालत ने मंजूरी ली थी। कोर्ट ने उस समय केस के बाकी चार आरोपियों को अदालत में हर हफ्ते पेश होने के आदेश दिए थे।
 
प्रज्ञा और सुधाकर ने चुनावी व्यस्तता का हवाला दिया था
भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा सांसद (तब उम्मीदवार) प्रज्ञा और उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर से निर्दलीय प्रत्याशी सुधाकर चतुर्वेदी ने अपनी याचिकाओं में चुनावी व्यस्तताओं का हवाला दिया था। उधर, कर्नल पुरोहित ने कुछ व्यक्तिगत परेशानियां बताई थीं। कोर्ट ने आरोपियों के वकीलों को मालेगांव विस्फोट स्थल पर जाने की अनुमति भी दे दी है। उन्होंने इस संबंध में अलग से याचिका लगाई थी।
 
अदालत में दर्ज हो रहे गवाहों के बयान
फिलहाल, अदालत में मामले से जुड़े गवाहों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। इन तीनों के अलावा मामले बाकी चार आरोपी मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी हैं। ये सभी जमानत पर हैं।
सात लोगों के खिलाफ हैं आरोप
अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में सातों आरोपियों के खिलाफ आतंकी गतिविधियों, आपराधिक षड्यंत्र और हत्या की धाराओं में आरोप तय किए थे। उनके खिलाफ सुनवाई चल रही है। मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के निकट हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे।

मुंबई में डीसीपी मनोज शर्मा के संघर्ष की कहानी पर आधारित 'ट्वेल्थ फेल' उपन्यास का होने वाला है विमोचन
मुरैना जिले की जौरा के बिलगांव में जन्मे आईपीएस शर्मा हैं युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत
मुरैना. असफलता आपके लक्ष्य में बाधा नहीं बन सकती। बस आपके अंदर लक्ष्य को पाने का हौसला होना चाहिए। ऐसी ही कहानी है मुरैना जिले की जौरा तहसील के बिलगांव में जन्मे आईपीएस मनोज शर्मा की। आज वह मुंबई पुलिस में डिप्टी कमिश्नर हैं और उनकी गिनती महाराष्ट्र के ईमानदारों अफसरों में होती है।
9वीं, 10वीं में थर्ड डिवीजन से पास आईपीएस मनोज बारहवीं कक्षा में सभी विषयों में (हिंदी को छोड़कर) फेल हो गए। गांव वालों के सामने बेइज्जती महसूस हुई। उन्हें ऐसा इसलिए लगा क्योंकि जब वे भैंस चराते समय उपन्यास पढ़ते थे तो गांव के लोग सोचते थे कि बहुत मेहनत करता है। लेकिन फेल हुए तो गांव के लोग हैरान रह गए और दोस्त चिढ़ाने लगे।
मनोज निराश हो गए  भी निराशा हुई तो बचपन के दोस्त राकेश ने हौसला अफजाई की और कहा कि तुम्हे कुछ बनकर दिखाना है। फिर क्या था अगले ही साल 70 प्रतिशत अंकों से हायर सेकंडरी की परीक्षा पास। कॉलेज में भी टॉपर्स रहे और वर्ष 2005 में आईपीएस में सिलेक्ट हुए। आज मनोज न सिर्फ मुंबई में अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात हैं बल्कि उनकी गिनती महाराष्ट्र के ईमानदार अफसरों में होती है। जल्द ही मनोज के संघर्ष की कहानी पर आधारित 'ट्वेल्थ फेल' नामक उपन्यास का विमोचन होने वाला है।
जिद के आगे जीत है, इस जज्बे ने बनाया आईपीएस
मनोज के बचपन के दोस्त राकेश शर्मा बताते हैं कि मनोज ग्वालियर में 2 साल तैयारी करने के बाद यूपीएससी की कोचिंग करने दिल्ली गया। तीन चांस में सिलेक्शन नहीं हुआ। जब वह जौरा आते तो हम घंटों नहर किनारे बैठकर गपशप करते। इस दौरान गांव के ही कुछ अन्य दोस्तों ने यहां तक कह दिया कि मनोज पढ़ते-पढ़ते तुम्हारे चश्मा तो लग गया, अब तुम्हारा कुछ नहीं हाेने वाला। गांव लौट आओ। लेकिन मनोज ने सफल होने की जिद ठान रखी थी। आईपीएस में सिलेक्ट होकर उसने पूरे गांव का नाम रोशन किया।
घर वाले चाहते थे क्लर्क बन जाऊं 12वीं में ले लिया गणित, हो गए फेल
जौरा तहसील के बिलगांव में ग्रामीण विकास अधिकारी के रूप में पदस्थ ओमप्रकाश शर्मा व शकुंतला शर्मा की दूसरी संतान मनोज शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा बिलगांव के सरकारी स्कूल में हुई। 9वीं, 10वीं की पढ़ाई के लिए जौरा के सरकारी बालक हासे स्कूल में दाखिल लिया। पढ़ने-लिखने में कमजोर मनोज 9वीं में थर्ड डिवीजन में पास हुए, जबकि 10वीं में ग्रेस लेकर थर्ड डिवीजन आई।
बकौल आईपीएस मनोज, घर वाले चाहते थे कि मैं क्लर्क बन जाऊं इसलिए मैंने उनकी सलाह पर मैथ ले लिया। चूंकि उस समय नकल का कल्चर था और उम्मीद थी कि पास हो जाऊंगा। इसलिए 12वीं में मैथ सब्जेक्ट लेकर पढ़ाई शुरू कर दी। लेकिन फेल हो गया।
यूपीएससी के इंटरव्यू में भी पूछा-तुम 12वीं फेल, क्यों करें सिलेक्ट
मनोज शर्मा ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि-जब चौथे चांस में प्री व मैन्स निकालने के बाद इंटरव्यू में सामने चयन समिति में बैठे अफसरों ने मेरा बायोडाटा देखा तो उनका पहला सवाल यही था कि यहां आईआईटी, आईआईएम क्वालिफाई कर चुके लोग आए हैं, उनके सामने हम आपको सिलेक्ट क्यों करें। मैंने बेबाकी से उनके सामने कह दिया कि 12वीं में फेल होने के बाद मैं यहां तक पहुंच गया तो मेरे अंदर कुछ तो क्वालिटी होगी। बस मेरे इसी सवाल से चयन समिति सदस्य खुश हुए। हालांकि कुछ अन्य सवाल भी मुझसे पूछे गए। इसके बाद वर्ष 2005 में मेरा सिलेक्शन महाराष्ट्र कैडर में आईपीएस के लिए हुआ।

रविवार को मुख्यमंत्री निवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल हुईं थी रामबाई
अपने विवादित बयान और फिर पति और देवर पर लगे हत्या के आरोपों से सुर्खियों में आईं थीं रामबाई
भोपाल। पति पर लगे हत्या के आरोप के बाद करीब ढाई महीने तक लाइमलाइट से दूर रहीं बसपा विधायक रामबाई रविवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल हुई। सोमवार को उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस सरकार हमे खुश करने का वादा करने की बात कह रही है। ये तो तब ही हो जाना चाहिए था जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी।
मध्य प्रदेश से पथरिया से विधानसभा क्षेत्र से विधायक रामबाई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रदेश में मंत्रीमंडल के विस्तार की बात चल रही है। लेकिन मुख्यमंत्री इसका विस्तार कैसे करेंगे, क्योंकि मंत्रीमंडल में विस्तार की गुंजाइश ही नहीं है। उम्होंने कहा कि वैसे देखा जाए तो मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं और वे कुछ तो करेंगे ही।
रामबाई ने कहा कि हमसे खुश करने का वादा किया जा रहा है, लेकिन ये काम तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था। अब वे खुश कैसे करेंगे वे ही जाने। सरकार के समर्थन पर रामबाई ने कहा कि उनका समर्थन कांग्रेस सरकार को जारी रहेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके बेटे की तबीयत ठीक नहीं चल रही है। इसलिए बीते दो महीने से ज्यादा समय से वे दिल्ली उसका इलाज करा रही थीं।

पति सहित परिवार पर हत्या का आरोप
15 मार्च को हटा के कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या कर दी गई थी। हमले में देवेंद्र के बेटा भी घायल हो गया था। मामले में हटा थाना पुलिस ने पथरिया से बसपा विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह, देवर कौशलेंद्र सिंह, भतीजा गोलू सिंह, भाई लोकेश सिंह के अलावा भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल के बेटे इंद्रपाल पटेल, श्रीराम शर्मा, अमजद खान को मुख्य आरोपित बनाया। हत्याकांड में शामिल आरोपितों की तलाश में पथरिया से बसपा विधायक रामबाई के घर पर दबिश दी थी। जिसके बाद उन्होंने उन्होंने कहा था कि पति और उनके देवर को झूठा फंसाया जा रहा है। इतना ही नहीं बसपा विधायक ने कहा कि अगर पुलिस लिखित में आश्वसान दे तो वो पति और देवर को पेश करा देंगी। हालांकि कुछ दिन बाद देवर ने सरेंडर कर दिया पति अब भी फरार चल रहा हैं।

मप्र सरकार के गिरने की अटकलों के बीच समर्थन वापस लेने के बयान से मुकरे विधायक
कहा- मैंने शुरू से कांग्रेस का समर्थन किया है, अभी भी मेरा पूरा समर्थन कांग्रेस को ही है
बुरहानपुर. मप्र में सरकार के गिरने की अटकलों के बीच कांग्रेस से समर्थन वापस लेने के बयान को निर्दलीय विधायक सुरेंद्रसिंह ठाकुर ने सिरे से नकार दिया है। उन्होंने कहा- मैंने भोपाल में मीडिया को ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। मैंने शुरू से कांग्रेस का समर्थन किया है। अभी भी मेरा पूरा समर्थन कांग्रेस को ही है। मुझे मंत्रिमंडल में शामिल करने का आश्वासन मिला है। देखते हैं कब तक मंत्री पद मिलता है।
विधायक सुरेंद्रसिंह ने बताया कि भोपाल में विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधायकों से कहा है कि भाजपा की बातों में आने की जरुरत नहीं है। हम सब एक है। हमारे मंत्री भी एकजुट है। हम मिलकर काम करेंगे। अपने-अपने क्षेत्रों के कामों की सूची बनाकर रख लें। जितने भी काम है अपने-प्रभारी मंत्रियों को उसकी सूची सौंप दें। यदि उनसे अपने काम पूरे नहीं करवा पाए। या किसी कारण से वो नहीं कर पाए तो मेरे घर बेझिझक आईए। मैं अापके सारे काम करूंगा।
इस बैठक में नेपानगर विधायक सुमित्रा कास्डेकर भी शामिल रहीं। विधायक सुमित्रा कास्डेकर ने बताया मुख्यमंत्री ने सरकार के सभी काम जनता तक पहुंचाने काे कहा है। किसानों के ज्यादा से ज्यादा कर्जमाफ करने के लिए कार्रवाई तेज करवाने के निर्देश दिए हैं। हमने आश्वासन दिया है कि बुरहानपुर के सभी किसानों के कर्जमाफ करवाएंगे।
5 साल सरकार के साथ करेंगे काम
कमलनाथ सरकार में 114 विधायक कांग्रेस पार्टी के है। 2 विधायक बीएसपी, 4 निर्दलीय और 1 विधायक सपा से है। बच्चन ने बताया बैठक में सभी विधायकों ने एकता व निष्ठा से 5साल तक सरकार के साथ काम करने का समर्थन दिया है। इसको लेकर लिखित में प्रस्ताव भी पारित हुआ है। इसके लिए किसी भी विधायक ने कोई शर्त नहीं रखी है।

Ads

R.O.NO. 13380/77 Advertisement Carousel

MP info RSS Feed

फेसबुक