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News Creation - एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल में कमी करने में ही भलाई, जिंदगी और पैसा दोनों बचा सकते हैं

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एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल में कमी करने में ही भलाई, जिंदगी और पैसा दोनों बचा सकते हैं Featured

एंटीबायोटिक्स या प्रतिजैविक एक ऐसा पदार्थ है जो जीवाणुओं को मारता है और उसके विकास को रोकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि विश्व में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल बंद किया जाना चाहिए। 

 माना जा रहा है की गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीजों के लिए पिछले दो वर्षों में एंटीबायोटिक्स दवाओं को अंतिम उपाय के रूप में माना जाता है क्योंकि 86 प्रतिशत तक मृत्यु की संख्या पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। ऐसे में हाल ही में एंटीबायोटिक्स के अत्यधिक इस्तेमाल को रोकने के लिए कोच्ची के अस्पताल ने प्रतिबंधित एंटीबायोटिक्स दवाओं को कम किया है। 


मुंबई के हिंदुजा अस्पताल के डॉक्टर ने सर्जरी के एक दिन पहले मरीजों से एंटीबायोटिक्स लेने को कहा जबकि इसके पूर्व कई दिन पहले से ही मरीजों को एंटीबायोटिक्स खाने की सलाह दी जाती थी। कोच्चि के अमृता मेडिकल साइंस संसथान की 48555 मरीजों की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो सालों में अनुभवी टीम के सदस्यों ने पाया है कि 1020 मरीजों ने 1326 प्रतिबंधित एंटीबायोटिक्स दवाओं के पर्चे पाए। 

हालांकि, रोजाना जांच पड़ताल की मदद से अस्पताल की टीम ने 86 प्रतिशत तक एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को कम करने में सफलता हासिल की है। बता दें कि मुंबई में तृतीयक देखभाल अस्पतालों में जब भी कोई मरीज प्रतिबंधित एंटीबायोटिक्स दवा का पर्चा लेकर आता है, डॉक्टरों एवं फार्मासिस्ट की टीम मरीज के फाइल की कारण जानने हेतु जांच पड़ताल करती है जिसके उपरांत ही उसे दवा दी जाती है। 

रोगाणुरोधी दवाएं खासकर एंटीबायोटिक्स डॉक्टरों द्वारा इतनी अधिक सलाह कर दी जाती हैं की सूक्ष्मजीवों ने इससे प्रतिरोध विकसित कर दिया है जो आज स्वास्थ्य सम्बन्धी सबसे बड़ी समस्या है। वर्ष 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार रोगाणुरोधी दवाओं से विश्व में प्रत्येक वर्ष 7 लाख मृत्यु होती है और यदि सही कदम नहीं उठाये गए तो आने वाले 30 सालों में ये दर बढ़ कर 10 मिलियन हो सकती है। 

बहरहाल, इस ओर कदम बढ़ाते हुए देश के डाक्टरों ने मरीजों को एंटीबायोटिक्स की सलाह देने में कमी की है। बता दें की कुछ साल पहले भारतीय परिषद चिकित्सा अनुसंधान द्वारा पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गयी थी जिसमें हिंदुजा अस्पताल के डॉक्टरों के साथ-साथ दिल्ली, चेन्नई ओर कोलकाता के डॉक्टरों से मरीजों को प्रतिबंधित एंटीबायोटिक्स की सलाह देने के लिए 'सफाई' की मांग की गयी थी। 

आईसीएमआर की डॉक्टर कामिनी वालिआ का कहना है कि, देश में एंटीबायोटिक्स के कम इस्तेमाल को सुनिश्चित करना चाहती हैं ताकि उन एंटीबायोटिक्स को इस्तेमाल में लाया जा सके जो विशिष्ट जीवाणुओं   पर काम करते हैं। 


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