×

Warning

JUser: :_load: Unable to load user with ID: 809

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट नें कश्मीर मुद्दे की आंच बढाई, पाकिस्तान को फटकार

न्यूज़ डेस्क पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग नें एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. जिसमें जम्मू और कश्मीर के मसले पर कई सवाल थे. रिपोर्ट बनाने वाली कमीशन नें साफ़ तौर पर कहा था कि “पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर और गिलगिट-बाल्टिस्तान में हालात भारत से कहीं बदतर है जिसकी वजह से संयुक्त राष्ट्र कमीशन का पहुंच पाना भी आसान नहीं.”

इसके बाद हाल में ही एक और रिपोर्ट जारी कर संयुक्त राष्ट्र नें कश्मीरी लीगों के हालातों पर चिंता व्यक्त की, 43 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर में “बोलचाल से लेकर, मिलने-जुलने, अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को शांत करने के लिए आतंकवाद-विरोधी क़ानूनों का इस्तेमाल किया जाता है,”

हुर्रियत कांफ्रेस के अलगाववादी नेता मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ ने रिपोर्ट को अहम बताया है और कहा है कि भारत और पाकिस्तान दोनों को रिपोर्ट में सुझाए गए अनुशंसाओं को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए.

कश्मीर घाटी में रिपोर्ट को लेकर हालांकि कुछ ख़ास प्रतिक्रिया अबतक नज़र नहीं आई है और सामान्यत: सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहने वाले उमर अब्दुल्लाह ने इसपर कुछ नहीं कहा है, न ही महबूबा मुफ़्ती ने.

इसके अलावा भारत शाशित कश्मीर के बारे में भी रिपोर्ट में प्रदर्शनकारियों, राजनीतिक मतभेद रखनेवालों और स्वंयसेवी संस्थाओं को मनमाना तौर पर नज़रबंद करने को भी मानवाधिकार उल्लंघन के उदाहरण के तौर पर पेश किया गया है और इसमें कश्मीरियों पर भारत के अलग-अलग हिस्सों में हुए हमलों का भी ज़िक्र है.

रिपोर्ट में श्रीनगर के महाराजा हरि सिंह अस्पताल के हवाले से कहा गया है कि पैलेट-गन के इस्तेमाल से 2016-मध्य और 2018 के अंत तक 1253 लोग आंखों की रोशनी खो चुके हैं, और न जाने कितने ही लोगों की मौतों का पता भी नहीं चल सका है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने 'रिपोर्ट को भारत की संप्रभुता का उल्लंघन क़रार देते हुए कहा कि इसमें सीमा-पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के मामले की पूरी तरह अनदेखी की गई है.'

Rate this item
(0 votes)

  • R.O.NO.13129/65 " D

Ads

R.O.NO.13129/65 " D

MP info RSS Feed

फेसबुक