ईश्वर दुबे
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सन मेलन जिसे हिंदी में सरदा के नाम से जाना जाता है। जो गर्मियों में मिलने वाला फल है। इसे ऐसे खाने के अलावा सलाद, प्यूरी बनाकर स्मूदी, आइसक्रीम, दही या फ्रोजन डेजर्ट में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होने की वजह से सरदा बहुत ही पावरफुल इम्यूनिटी बूस्टर भी होता है। इसके अलावा और भी कई तरह के पोषक तत्व इसमें मौजूद होते हैं जो सेहत को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।1. हार्ट को रखें हेल्दी : खरबूजे में ऐडिनोसिन और पोटैशियम पाया जाता है। पोटैशियम शरीर में सोडियम से होने वाले नुकसान से बचाता है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखता है। इसके अलावा ऐडिनोसिन कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम में रक्त के थक्के को भी जमने से रोकता है जिससे दिल से जुड़ी बीमारियां दूर रहती हैं।2. पीरियड्स में आराम : पीरियड्स में अगर बहुत ज्यादा पेट दर्द और ऐंठन की समस्या होती है तो ऐसे में सरदा का सेवन काफी फायदेमंद रहेगा।3. बालों की झड़ना होता है कम : महिला हो या पुरुष, बालों का झड़ना हर किसी के लिए आम समस्या बन चुका है। तो इसे कंट्रोल करने के लिए हेल्दी डाइट अपनाना बहुत जरूरी है। सरदा में पाया जाने वाला विटामिन बी बालों के झड़ने की समस्या को तो दूर करता ही है साथ ही उनकी ग्रोथ में भी मदद करता है। खाने के अलावा आप खरबूजे का पेस्ट बनाकर भी बालों पर लगा सकते हैं। इससे बहुत फायदा मिलता है।4. वजन करता है कम : खरबूजे में कैलोरी की मात्रा बेहद कम लेकिन फाइबर अच्छी-खासी मात्रा में मौजूद होता है जिससे वजन कम करने के सफर को आसान बनाया जा सकता है। सरदा खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है जिससे भूख नहीं लगती और इस वजह से आप बेवजह नहीं खाते।5. आंखों के लिए फायदेमंद : सरदा में पाए जाने वाला बीटा कैरोटिन आंखों को हेल्दी रखता है। खरबूजे के द्वारा मिलने वाला बीटा कैरोटीन, विटामिन ए में बदल जाता है जो आंखों से जुड़ी कई तरह की समस्याओं को दूर रखता है।6. पाचन तंत्र को रखे हेल्दी : खरबूजे का सेवन पाचन तंत्र के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसके सेवन से आंतों को फंक्शन एकदम सही रहता है। कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी समस्याएं कोसों दूर रहती हैं।7. गर्भावस्था में फायदेमंद : गर्भवती महिलाओं में अक्सर फॉलिक एसिड की कमी हो जाती है। ऐसे में सरदा में मौजूद फॉलिए एसि़ड उनके शरीर में इस कमी को जल्द पूरी कर सकता है। तो उनके भी बहुत जरूरी है इसका सेवन करना।. तनाव से राहत : सरदा में मौजूद पौटेशियम मस्तिष्क में ऑक्सीजन की सप्लाई करता है। जो ब्रेन के फंक्शन को इंप्रूव करता है साथ ही तनाव और अवसाद को भी दूर रखता है।
आम का रसीला स्वाद और खुशबू लोगों को उसकी तरफ आकर्षित कर ही लेता है। आम में विटामिन A, B, C और E के साथ-साथ पोटैशियम, मैग्नीशियम, तांबा और फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। बावजूद इसके जरूरत से ज्यादा आम खाने से व्यक्ति को फायदे की जगह कई तरह के नुकसान भी हो सकते हैं। आम खाने के साइड इफेक्ट्स-
मोटापा-आम में मौजूद कैलोरीज की अधिकता आपके मोटापे को बढ़ाने का काम कर सकती है। ऐसे में अगर आप अपनी वेटलॉस जर्नी में हैं तो आम का सेवन कम मात्रा में करें। फुंसी और मुंहासे की समस्या-आम की तासीर गर्म हो है। इसका जरूरत से ज्यादा सेवन करने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है। जिसकी वजह से व्यक्ति को चेहरे पर फुंसी, फोड़े और मुंहासे निकल सकते हैं।
दस्त लगना-आम में अच्छी मात्रा में फाइबर मौजूद होता है। इसका जरूरत से ज्यादा सेवन करने से व्यक्ति को दस्त तक लग सकते हैं। ब्लड शुगर लेवल-आम में मौजूद प्राकृतिक मिठास आपके ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ सकती है। अगर आप मधुमेह रोगी हैं तो आपको आम बिल्कुल भी ज्यादा नहीं खाना चाहिए।एलर्जी की शिकायत-कई लोगों को आम खाने से एलर्जी भी हो जाती है। अगर आप ज्यादा आम खाते हैं तो इससे बचे और स्वाद के लिए बस दिन में एक ही आम खाएं।
बद्ध कोणासन : पैरों को मोड़कर पंजों के निचले हिस्से को आपस में मिलाएं। हाथों से पैर के पंजों को अच्छी तरह पकड़ लें। सीने को हल्का सा बाहर निकालते हुए पोस्चर को सीधा करें। लंबी-गहरी सांस लें और छोड़ें। 3 से 5 बार सांस लेने-छोड़ने की प्रक्रिया करें फिर रिलैक्स हो जाएं। इस आसन को तीन बार दोहराएं।पश्चिमोत्तानासन : पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं। अब सांस भरते हुए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे हाथों को नीचे लाते हुए पैर के पंजों को पकड़ने की कोशिश करें। इस स्थिति में जितनी देर आरामपूर्वक रह सकते है बने रहें। फिर हाथों को आराम से जांघों के बगल में रख लें। ऐसे ही आपको कम से कम तीन से पांच बार करना है।जानु शिरासन : पैरों को सामने की ओर ही फैलाकर रखेंगे। अब बाएं पैर को मोड़कर, दाहिने जांघ के पास टिकाएं। सांस भरते हुए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं फिर सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे लाते हुए दाहिने पैर के पंजों को छूने की कोशिश करें। इस स्थिति में थोड़ी देर बने रहें। तो पहले दाहिने पैर से इस आसन को तीन से पांच बार पूरा करें फिर बाएं पैर से।सेतुबंधासन : सेतुबंधासन योग आपके शरीर के ज्यादातर अंगों को चुस्त-दुरुस्त रखता है। इसके लिए पीठ के बल मैट पर लेट जाएं। फिर पैरों को मोड़कर पंजों को हिप्स के नज़दीक ले जाएं। हाथ से पैर के पंजों के पिछले हिस्से को पकड़ने की कोशिश करें। अब सांस भरते हुए हिप्स को जितना ऊपर उठा सकते हैं उठाएं। ऊपर सांस रोककर रखना है फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे नीचे आएं। इस आसन को भी 3 से 5 बार दोहराएं।नौकासन : नौकासन से किडनी तो हेल्दी रहेगी ही साथ ही पेट की चर्बी भी तेजी से कम होती है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल मैट पर लेट जाएं। अब लंबी-गहरी सांस भरते हुए पैर के पंजों को मैट से तीन से चार इंच उठाएं और उतना ही शरीर के ऊपरी हिस्से को भी। हाथ बिल्कुल सामने रखें। नजरें पैर के पंजों पर टिकाएं। इस स्थिति में भी सांसों को रोककर रखते हैं लेकिन बहुत ज्यादा दिक्कत महसूस होने पर आराम धीरे-धीरे सांस ले सकते हैं। 3 से 5 सेकेंड इस आसन में बने रहें फिर सांस छोड़ते हुए नीचे की ओर आ जाएं।
घूमना-फिरना हर किसी को पसंद होता है। फिर वो चाहे लॉन्ग ड्राइव पर जाना हो या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से। सफर का मजा बरकरार रहे इसके लिए जरूरी है कि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए। क्योंकि जब हम यात्रा पर होते हैं तो दोस्तों के साथ बातचीत करते हुए कुछ ज्यादा ही खा लेते हैं। ऐसे में जरूरी है कि कुछ खानपान का भी ख्याल करें। क्योंकि अगर अनहेल्दी फूड तबियत बिगाड़ने में देर नहीं करता।
तले भुने से रहें दूर : सफर के दौरान रोमांच को बनाए रखना चाहते हैं तो तली-भुनी चीजों से दूर रहें। समोसा, कचौड़ी, भटूरे, छोले इस तरह की चीजों को यात्रा के दौरान ना ही खाएं तो बेहतर होगा। कई बार ट्रेन से यात्रा के दौरान स्टेशन से कटलेट और समोसे जैसी चीजे देखकर खाने का दिल करता है। लेकिन खुले में बिक रहीं ये सारी चीजें आपको परेशान कर सकती हैं।
मांसाहार का ना करें सेवन : गर्मियों में अगर आप यात्रा का प्लान बनाएं हैं तो और भी ज्यादा खाने-पीने की चीजों का ध्यान रखें। सफर के दौरान भूलकर भी नॉनवेज ना खाएं। क्योंकि नॉनवेज ढेर सारे मसाले और तेल में बना होता है। साथ ही इसे पचने के लिए भी काफी समय चाहिए होता है। ऐसे में यात्रा के दौरान नॉनवेज से दूरी बनाकर रखें तो ही अच्छा है।
अंडा : नॉनवेज की ही तरह अंडे का सेवन भी ना करें। यात्रा में कुछ ऐसा खाएं जो आसानी से पच जाए। क्योंकि अंडा भी काफी भारी होता है और समय लेकर पचता है। इसलिए इनसे दूरी ही भली है।
फल कम समय में ज्यादा उर्जा प्रदान करता हैं : गर्मियों के मौसम में अगर यात्रा पर हैं तो सबसे पहले पानी खूब मात्रा में पिएं। साथ ही पानी वाले और रस वाले फलों का सेवन करें। जूस पी सकते हैं। वहीं चटपटा खाने का दिल है तो केले के चिप्स, भुने हुए ड्राई फ्रूट्स पिस्ता, काजू या बादाम खाएं। आप मूंगफली और मखाने को भी रख सकते हैं। ये सारी चीजें आपको पौष्टिकता देंगी और तबियत भी खऱाब होने से बचाएंगी।
डायबिटीज रोगियों को अपना ब्लड शुगर कंट्रोल में रखने के लिए अपनी दवा और डाइट का बहुत ध्यान रखना पड़ता है। डायबिटीज एक गंभीर रोग है जिसमें रोगी को सतर्क और सावधान रहने की बेहद जरूरत होती है। सेहत को बनाए रखने में फलों का बहुत बड़ा हाथ होता है। लेकिन मधुमेह रोगी को फल देते समय यह सवाल बार-बार मन में आता है कि क्या ये फल वाकई डायबिटीज रोगी के लिए ठीक है। ऐसे में आपको बता दें, मधुमेह रोगी को फल देने से पहले उसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स जरूर देख लेना चाहिए।
क्या है ग्लाइसेमिक इंडेक्स - ग्लाइसेमिक इंडेक्स हमारे शरीर में रक्त शर्करा के स्तर के बढ़ने या संतुलित रखने का एक कारण होता है। व्यक्ति जो भी चीज खाता है उसमें से ग्लूकोज लेवल बढ़कर फ्रुक्टोज में बदल जाता है। जिसके बाद आखिर में यह शुगर के रूप में ब्रेक होकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। ऐसे में डायबिटीज रोगी अपनी डाइट में ऐसे फलों को शामिल कर सकते हैं जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम हो। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर अधिक ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होगा तो इससे रक्त शर्करा का स्तर अचानक ऊपर जा सकता है। वहीं कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स फलों से ऐसा नहीं होता।
न्यूट्रिशनिस्ट और वैलनेस एक्सपर्ट वरुण कत्याल ( Varun Katyal, Nutritionist And Wellness Expert) कहते हैं कि जामुन न केवल एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है जो प्रतिरक्षा में सुधार करने में मदद करता है, बल्कि इसका सबसे बड़ा लाभ मधुमेह के उपचार में मिलता है।कई अध्ययनों से पता चला है कि जामुन का हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव रक्त शर्करा में 30 प्रतिशत तक की कमी कर सकता है। इसके बीज अल्कलॉइड से भरपूर होते हैं जिनका हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है।
मधुमेह के रोगी अपने शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए रोजाना जामुन के फल का सेवन कर सकते हैं, जो निश्चित रूप से इंसुलिन गतिविधि और संवेदनशीलता को बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा, इसके बीज का पाउडर टाइप -2 मधुमेह वाले लोगों या फिर इंसुलिन न लेने वाले दोनों ही लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
डायबिटीज हो खा सकते हैं ये फल-
अमरूद - अमरूद को डायबिटीज के मरीजों के लिए सुपर फूड माना जाता है। अमरूद से मिलने वाला फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है और ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकता है। अमरूद में विटामिन ए और विटामिन सी के अलावा उच्च मात्रा में डाइटरी फाइबर मौजूद होते हैं। इस फल का ग्लूकोज़ इडेक्स भी कम होता है।
संतरा - विटामिन सी से भरे संतरे को खाने से इम्यूनिटी तो स्ट्रांग होती ही है साथ ही मधुमेह का खतरा भी कम हो सकता है। संतरा और आंवले जैसे खट्टे फलों का जीआई स्कोर भी कम है।
जामुन - डायबिटीज़ रोगियों के लिए यह सबसे अच्छा फ्रूट है। यह रक्त में शुगर के स्तर को बेहतर करने के अलावा शुगर को कंट्रोल करने में भी मदद करता है। जामुन के बीजों का पाउडर बनाकर भी डायबिटीज रोगी इसका सेवन कर सकते हैं।
कमरख - कमरख डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद है। ये रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण और सुधार करने में कारगर होता है।
कीवी - कीवी को मधुमेह रोगी की डाइट में ऐड किया जा सकता है क्योंकि इसे शुगर फ्री फल मानते हैं। बता दें कि इसके अंदर विटामिन सी के साथ-साथ कम चीनी मौजूद होती है ऐसे में इसके सेवन से व्यक्ति को सेहत से जुड़े कई फायदे हो सकते हैं। इससे अलग एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन-सी, पोटेशियम, कैल्शियम आदि पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जो सेहत को कई समस्याओं से दूर रख सकते हैं।
सेब - सेब में एंटीऑक्सिडेंट मौजूद होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, पाचन तंत्र को साफ करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बूस्ट करने में मदद करते हैं। इसके अलावा सेब में मौजूद पोषक तत्व फैट के डाइजेशन में भी मदद करते हैं।
डायबिटीज हो न करें इन फलों का सेवन - डायबिटीज के मरीजों को कुछ फलों का सेवन न करने या बहुत ही कम मात्रा में करने की सलाह दी जाती है। इसमें केला, चीकू, अंगूर, आम और लीची आदि शामिल हैं। इन फलों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने का खतरा रहता है।
तरबूज गर्मियों के महीनों के दौरान उपलब्ध सबसे अधिक हाइड्रेटिंग फलों में से एक है और इसे खाकर न सिर्फ आपका आपकी बॉडी हाइड्रेट रहती है बल्कि इससे आपकी स्किन भी ग्लोइंग बनती है। ज्यादातर लोग तरबूज खाने के बाद पानी पीते हैं, जिससे कि तरबूज की मिठास का स्वाद उनके मुंह से कम हो सके, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार फल खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए। खासकर जिन फलों में प्राकृतिक रूप से ज्यादा पानी होता है।
तरबूज खाने के बाद कुछ समय के लिए पानी पीने से बचना ही बेहतर है। जिन लोगों का डाइजेशन कमजोर है, उन्हें तरबूज खाने के बाद कम से कम 40-45 मिनट तक पानी पीने से जरूर बचना चाहिए। सुरक्षित रहने के लिए तरबूज खाने के कम से कम 20-30 मिनट बाद पानी पिएं। अगर आपको बहुत ज्यादा प्यास लग रही है, तो आप एक या दो घूंट पानी पी सकते हैं लेकिन तरबूज के बाद एक पूरा गिलास पानी न पिएं।
खान-पान की अनदेखी और वर्कआउट की कमी के चलते आजकल ज्यादातर लोग लाइफस्टाइल डिजीज के शिकार बन रहे हैं। ऐसी ही एक डिजीज का नाम है मधुमेह। डॉक्टर्स के मुताबिक अगर जीवन शैली में बदलाव लाया जाए और खाने-पीने पर कंट्रोल करें तो व्यक्ति इस बीमारी पर काफी हद तक काबू पा सकता है।
मंडूकासन- मंडूकासन करते समय शरीर मेढक के जैसा प्रतीत होता है। इसलिए इसे मंडूकासन कहते हैं। इसे अंग्रेजी में फ्रॉग पोज के नाम से जाना जाता है। यह आसन डायबिटीज और पेट के रोगों के लिए रामबाण है। यह आसन पेनक्रियाज के लिए फायदेमंद होने के साथ पेट पर भी दबाव डालता है। मधुमेह पीडित रोगियों को नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन- अर्धमत्स्येन्द्रासन आसन को 'हाफ स्पाइनल ट्विस्ट पोस' भी कहा जाता है। 'अर्धमत्स्येन्द्र' का अर्थ है शरीर को आधा मोड़ना या घुमाना। मधुमेह रोगियों को अर्ध मत्स्येन्द्रासन का भी अभ्यास करना चाहिए। डायबिटीज, कब्ज, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, मासिक धर्म की परेशानियों, और अपच के लिए फायदेमंद है अर्ध मत्स्येन्द्रासन।
बालासन- बालासन योग को आप कहीं भी कभी भी कर सकते हैं। इस आसन को चाइल्ड पोज के नाम से भी जाना जाता है। बालासन का अभ्यास करने से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है। यूं तो बालासन को आमतौर पर तनाव दूर करने के लिए जाना जाता है, लेकिन वास्तव में यह मधुमेह रोगियों को भी बेहद लाभ पहुंचाता है।
कपालभाति- कपालभाति प्राणायाम मधुमेह रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह आपके शरीर की तंत्र-तंत्रिकाओं और दिमाग की नसों को मजबूती देने के साथ शरीर में ऊर्जा भी बनाए रखता है।
नुलोम विलोम- आजकल लगभग ज्यादातर घरों में लोग उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित हैं। ऐसे में उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह के रोगियों के लिए कपालभाति और अनुलोम विलोम बहुत ही फायदेमंद माने गए हैं। रोजाना 15 से 20 मिनट कपालभाति और अनुलोम विलोम करने से उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों में राहत मिलती है। इसके अलावा यह हार्मोनल असंतुलन को बैलेंस करने में भी मदद करता है।
हंसने और हंसाने से आपके आसपास का माहौल पॉजिटिव बना रहता है। इसलिए कहा जाता है की रोजाना 10 मिनट हंसने से हेल्थ को कई फायदे मिल सकते हैं।
दर्द से मिलती है राहत : अगर आप खुल कर हंसते हैं तो आपके शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन निकलता है। इस हार्मोन के रिलीज होने का एक प्रभाव यह है कि यह दर्द सहने की क्षमता को बढ़ाता है। एंडोर्फिन शरीर के नेचुरल पेन किलर है। हंसने से, आप एंडोर्फिन जारी कर सकते हैं, जो पुराने दर्द को कम करने में मदद कर सकता है और आपको अच्छा महसूस करा सकता है।
इम्यूनिटी सिस्टम होता है बूस्ट : हंसने से आपका इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है, ऐसे में आपको किसी भी तरह के वायरस से सेफ रहने में मदद मिल सकती है। हंसी आपके शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करने के लिए ज्यादा संक्रमण-रोधी एंटीबॉडी जारी करती है।
स्ट्रेस करता है कम : जब आप स्ट्रेस में होते हैं तो आपका शरीर कोर्टिसोल छोड़ता है, जो एक स्ट्रेस हार्मोन के रूप में जाना जाता है। कोर्टिसोल शरीर के लिए जरूरी होता है, यह ब्लड शुगर के लेवल को कम करने में मदद करता है, सूजन को कम करता है, मेटाबॉलिज्म को मेनेज करता है। लेकिन बहुत ज्यादा कोर्टिसोल होने पर और आपका शरीर स्ट्रेस को महसूस करता है। हंसी उन तरीकों में से एक है जिससे आपका शरीर कोर्टिसोल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। हंसने से आपके ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है, जो शरीर के सर्कुलेशन को बढ़ाता है और आपके कोर्टिसोल के स्तर को कम करता है। ऐसे में कुछ स्टडी की मानें तो हंसने से स्ट्रेस कम करने में मदद मिलती है।
बॉडी हो जाती है रिलेक्स : स्ट्रेस के कारण आपकी मांसपेशियां तनावग्रस्त हो जाती हैं। हंसने से स्ट्रेस को दूर करने में मदद मिल सकती है क्योंकि यह आपकी मांसपेशियों को आराम देता है। दिनभर में खुलकर हंसने से आपकी मांसपेशियों को 45 मिनट तक अतिरिक्त तनाव से मुक्त कर सकती है क्योंकि यह सर्कुलेशन को बढ़ाती हैं।
दिल स्वास्थ्य में सुधार : हंसी एक बेहतरीन कार्डियो वर्कआउट है, खासकर उनके लिए जो चोट या बीमारी के कारण अन्य शारीरिक एक्टिविटी नहीं कर सकते हैं। यह आपके दिल को पंप करता है और कैलोरी बर्न करता है।
माइग्रेन एक सामान्य न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जिसमें तेज़ सिरदर्द होता है। महिलाओं में पुरुषों की तुलना माइग्रेन की समस्या ज़्यादा देखी जाती है। माइग्रेन में तेज़ सिर दर्द 4 से 72 घंटों तक रह सकता है। इसके अलावा इसके मरीज़ों को मतली या उल्टी हो सकती हैं, साथ ही तेज़ रोशनी या आवाज़ से परेशानी भी होती है।
हाइड्रेट रहें: घर से बाहर निकलते वक्त हमेशा पानी की बोतल साथ ले जाएं। दिन में कम से कम 2 से 3 लीटर पानी ज़रूर पीना चाहिए।
डाइट पर ध्यान दें: कॉफी, रेड वाइन, चॉकलेट, चीज़ की जगह आम, तरबूज़, खीरा और हरी पत्तेदार सब्ज़ियों का सेवन करें।
हैट्स और शेड्स का उपयोग ज़रूर करें: तेज़ धूप में हैट या कैप पहनने से सिर पर सीधे धूप नहीं लगती और आप माइग्रेन अटैक से बचते हैं।
कॉस्मैटिक्स: जब आप सनस्क्रीन चुन रहे होते हैं, तो बिना खुशबू वाली प्रोडक्ट्स ही लें।
एसी का तापमान कंट्रोल में रखें: 25-27 डिग्री सेल्सियस मानव शरीर के लिए आदर्श तापमान है।
सख्त दिनचर्या बनाए रखना: समय से खाना खाएं और सोएं। चाहे आप छुट्टियों पर क्यों न हों, खाने को कभी भी न स्किप करें।
धूप से बचें: कोशिश करें कि तेज़ धूप में न निकलें। बाहर जाना हो या एक्सरसाइज़ करना हो, तो इसके लिए ऐसा वक्त चुनें जब धूप न हो। इससे आप डिहाइड्रेशन और हीट एक्सॉशन से बचेंगे।
स्ट्रेस मेनेजमेंट: तनाव न लें और अपने काम को आसान बनाने की कोशिश करें, समय को मैनेज करना सीखें। अगर आप ऑफिस में हैं, तो काम का सारा बोझ खुद पर न लें, अपनी टीम में काम को बांटें। समय-समय पर ब्रेक लें। शरीर को पूरा आराम दें।
जानकारी के मुताबिक ईडी ने कंपनी द्वारा किए गए अवैध जावक प्रेषण के संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के प्रावधानों के तहत बैंक खातों में पड़े जिओमी टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के 5551.27 करोड़ रुपये जब्त किए हैं।
चीन की कंपनी जिओमी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी और कड़ी कार्रवाई की है। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब जिओमी के वैश्विक उपाध्यक्ष से कुछ दिन पहले ही पूछताछ की गई थी। जानकारी के मुताबिक ईडी ने कंपनी द्वारा किए गए अवैध जावक प्रेषण के संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के प्रावधानों के तहत बैंक खातों में पड़े जिओमी टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के 5551.27 करोड़ रुपये जब्त किए हैं।
ईडी ने दावा किया है कि ज़ब्त की गई रकम कंपनी के बैंक खातों में पड़ी थी। इस साल फरवरी माह में कंपनी द्वारा किए गए अवैध धन प्रेषण से संबंध में ईडी ने जांच शुरू की थी। जब्त किए गए पैसे कई अलग-अलग बैंकों में जमा थे आपको बता दें कि जिओनी भारत में रेडमी और एम आई जैसे पॉपुलर मोबाइल फोन बनाती है। इस महीने की शुरुआत में, एजेंसी ने मामले के संबंध में जिओमी के वैश्विक उपाध्यक्ष मनु कुमार जैन से पूछताछ की थी।
होम्योपैथी को प्राचीन चिकित्सा पद्धति माना जाता है। कभी-कभी अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते शरीर में कई विकार जन्म ले लेते हैं। इसके अलावा जब हम कई ऐसी चीजें खा लेते हैं, जो मौसम या हमारे शरीर के अनुकूल नहीं होती, तो शरीर में विषैले पदार्थ या टॉक्सिक बनने लग जाते हैं। ऐसे में बॉडी से टॉक्सिक निकालने के लिए होम्योपैथी में कई पौधे और प्राकृतिक चीजों से बनी ऐसी खुराक दी जाती है, जिससे कि शरीर से विषैले पदार्थ निकल सके। होम्योपैथी चिकित्सा में विभिन्न रोगों का इलाज करने के लिए पौधों और खनिजों जैसे प्राकृतिक पदार्थों की छोटी-छोटी खुराकों का उपयोग होता है। इस प्राचीन पद्धति से बुखार, खांसी, गठिया और डायबिटीज जैसी बीमारियों का इलाज किया जाता है।
ऑटो-इम्यून डिजीज : एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करता है। ये हैं रूमेटाइड आर्थराइटिस, सीलिएक डिजीज, सोजोग्रेन सिंड्रोम, एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस, एलोपेसिया आदि।
अपक्षयी रोग : एक ऐसी बीमारी जिसमें बॉडी टिश्यू या शरीर के विभिन्न अंग काम करने बंद कर देते हैं। इनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियां शामिल हैं।
मासिक धर्म संबंधी विकार : मासिक धर्म संबंधी विकार ऐसी समस्याएं हैं, जो एक महिला के सामान्य मासिक धर्म यानी पीरियड्स पर असर डालती है। इसमें डिसमेनोरिया, मेनोरेजिया, एमेनोरिया, प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम आदि हैं।
मानसिक रोग : ये ऐसे लोग हैं, जिनमें व्यक्ति के विचारों, भावनाओं, व्यवहार या मनोदशा पर नेगेटिव असर पड़ता है। इनमें ऑटिज्म, बाइपोलर डिसऑर्डर, डिप्रेशन आदि बीमारियां शामिल हैं।
तीव्र या मौसमी रोग : तीव्र या मौसमी बीमारियां अचानक शुरू होती हैं। मौसमी बीमारियां विभिन्न मौसमों के दौरान पर्यावरण की स्थिति में बदलाव के कारण उत्पन्न होते हैं। इनमें बुखार, सामान्य जुखाम, गले में संक्रमण, डायरिया, फ्लू, एलर्जी आदि को रिकवर किया जा सकता है।
इंदौर। गर्मी के तेवर तीखे होते जा रहे हैं ऐसे में सेहत का ध्यान रखना बहुत आवश्यक हो जाता है। इस मौसम में फलों के सेवन से सेहतमंद रहा जा सकता है। मौसमी फल विशेषकर तरबूज, खरबूज, अंगूर, आम, केला, सेब, संतरा, बेरीज आदि फलों का सेवन लाभकारी होता है। आहार व पोषण विशेषज्ञ डा. आरती मेहरा बताती है कि इस मौसम में यह फल बहुत से आते हैं और इनका सेवन लाभदायक होता है। कोशिश करें कि इन्हें चबाकर ही खाएं लेकिन इनका जूस पीना भी लाभदायक होता है। नारियल पानी के जरिए शरीर में पानी कमी नहीं होती और शरीर में ताकत रहती है। फल पर या उसके जूस में दालचीनी पाउडर, काली मिर्ची का पाउडर या जीरा पाउडर डालकर खाना चाहिए। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इनमें एंटीआक्सीडेंट का भंडार है और विटामिन और खनिज लवणों का खजाना है। दिन की शुरुआत पानी में नींबू शहद या गुड़ डालकर करें। इस समय आप नाश्ता जरूर करें और नाश्ते में फल का सेवन बेहतर होगा। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी और रक्त संचार भी बेहतर होगा। इसके अलावा शरीर के विषाक्त तत्व भी बाहर निकलेंगे। दिन की शुरुआत सूखे मेवे से करें। एक मुट्ठी नट्स में भीगे हुए चार बादाम, दो अखरोट, करीब 20 किशमिश, मखाने, काजू या एक कटोरी मूंगफली दाने में गुड़ मिलाकर खाएं। इससे शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलेंगे। नाश्ते के रूप में उपमा, मल्टीग्रेन दलिया, सत्तू, अंकुरित अनाज, दाल का चीला, इडली का सेवन करें। दालों का अंकुरित करने से विटामिन सी और खनिज लवण बढ़ जाते हैं और अंकुरण ज्यादा प्रोटीन देगा व पाचन में आसान होगा। अंकुरित अनाज में प्याज, टमाटर, ककड़ी, गाजर, खीरा, चुकंदर, नींबू डालकर खाएं। इससे शरीर को फायबर भी मिलेगा और इनका पाचन अच्छे से होगा। सलाद फायबर और पोषक तत्वों का भंडार है। इससे कब्ज भी नहीं होता। दिन में एक या दो बार छाछ, कैरी पन्ना, ग्रीन टी, अनार और चुकंदर का जूस, आंवला जूस या सत्तू को घोल पिएं। दूध, नारियल का दूध, बादाम का दूध, मूंगफली का दूध यह सभी ऊर्जा बढ़ाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेतहर करते हैं। इसके अलावा अश्वगंधा और शतावरी एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल होते हैं। गर्मी में ज्यादा देर भूखे ना रहें, पर्याप्त नींद लें, ज्यादा नमक और ज्यादा शकर का सेवन ना करें, डिब्बाबंद पदार्थों का सेवन न करें।
हल्दी न सिर्फ आपकी सेहत बल्कि आपकी खूबसूरती का भी ध्यान रखती है। हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटी-बायोटिक, कैल्शियम, आयरन, सोडियम, ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन ई, विटामिन सी, और फाइबर जैसे गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को कई संक्रमण से बचाने में मदद कर सकते हैं। हल्दी में मौजूद इन गुणों के बावजूद अगर इसका सेवन अधिक मात्रा में किया जाए तो यह फायदे की जगह व्यक्ति को नुकसान तक पहुंचा सकती है।
पथरी- जिन लोगों को शरीर में बार-बार पथरी बनती है उन्हें हल्दी का सेवन हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह पर करना चाहिए। हल्दी के अंदर ऑक्सलेट मौजूद होता है। यह ऑक्सलेट कैल्शियम को शरीर में घुलने के बजाय बांधने लगते हैं। जिससे कैल्शियम अघुलशील होने लगता है। यह किडनी में पथरी का एक अहम कारण बनता है। ऐसे में हल्दी का अधिक सेवन करने पर समस्या और भी बढ़ सकती है।
दस्त या उल्टी- हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कई बार पाचन संबंधित समस्याएं पैदा करता है। इसके अधिक सेवन से व्यक्ति को कई बार दस्त या उल्टी की समस्या होने लगती है। लेकिन यह समस्या केवल तभी होती है जब आप हल्दी का अधिक सेवन करते हैं।
डायबिटीज- डायबिटीज रोगियों को अपने आहार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। मधुमेह रोगियों को अपने आहार में बहुत सी चीजें खाने-पीने की मनाही होती हैं। ऐसे में अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो हल्दी के ज्यादा सेवन से बचें।
आयरन की कमी- शरीर में आयरन की कमी कई रोगों को जन्म देती है। ऐसे में हल्दी का अधिक सेवन करने से शरीर में आयरन अच्छे से एब्सॉर्ब नहीं हो पाता है। अगर आपके शरीर में पहले से ही आयरन की कमी है तो आप हल्दी का सेवन केवल तय मात्रा में ही करें। वरना यह आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है।
नाक से खून आता हो- हल्दी की तासीर गर्म होती है। ऐसे में उन लोगों को जिन्हें गर्मी की वजह से नाक से खून आने की शिकायत रहती है, उन्हें हल्दी का सेवन काफी कम मात्रा में करना चाहिए। हल्दी का ज्यादा सेवन इस समस्या को और बढ़ा सकता है।
पीलिया रोगी- पीलिया यानी ज्वाइंडिस रोगी को हल्दी न खाने की सलाह दी जाती है। इससे उनकी समस्या और बढ़ सकती है। पीलिया ठीक होने के बाद भी रोगी को अपने डॉक्टर से पूछकर ही हल्दी के सेवन करना चाहिए।
भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने मंगलवार को 6-12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए भारत बायोटेक के कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ईयूए) प्रदान किया। इसके अलावा दवा नियामक ने दो और टीकों को मंजूरी दी।
देश में कोरोना ने एक बार फिर से अपनी रफ्तार को बढ़ाना शुरू किया है। इससे बचाव के लिए भारत सरकार ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी है। वैक्सीन को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सबसे कारगर हथियार माना जाता है। कोरोना के टीका पर सबसे बड़ी खबर सामने आई है। अब छह से बारह साल के बच्चों को कोरोना का टीका लगाया जाएगा। डीसीजीआई की तरफ से कोरोना वैक्सीनेशन को मंजूरी दे दी गई है।
भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने मंगलवार को 6-12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए भारत बायोटेक के कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ईयूए) प्रदान किया। इसके अलावा दवा नियामक ने दो और टीकों को मंजूरी दी। कोर्विवैक्स को 5-12 वर्ष के आयु वर्ग के लिए ईयूए दिया गया है और जायडस कडिलाकी दो-खुराक वाली कोविड-19 वैक्सीन वयस्कों के लिए स्वीकृत की गई है।
25 दिसंबर को भारत द्वारा दुनिया के सबसे बड़े वयस्क कोविड -19 टीकाकरण अभियान में से एक को शुरू करने के एक साल से भी कम समय के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 15-18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए टीकाकरण की घोषणा की थी। यह निर्णय देश के विभिन्न हिस्सों में ओमीक्रॉन के एक्सई वेरिएंट और चरणबद्ध तरीके से स्कूलों और कॉलेजों को फिर से खोलने की पृष्ठभूमि में आया है।