ईश्वर दुबे
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Bhilai
मुंबई। काशीनाथ भोईर एक सप्ताह से वर्सोवा जेट्टी पर नहीं लौटे हैं। वह और कई अन्य मछुआरे अपनी पकड़ को सुरक्षित करने समुद्र में करीब 100 समुद्री मील की दूरी तय कर चुके हैं। उनके भाई ज्ञानेश ने बातया कि पिछले सप्ताह मुंबई के तट से दूर अरब सागर के विशाल विस्तार में कोहरा छाया है। इस कोहरे की वजह से मछलियां तट के पास 15-20 समुद्री मील के दायरे से बाहर निकालकर गर्म पानी की ओर जाने पर मजबूर हैं।
ऑल महाराष्ट्र फिशरमैन एक्शन कमेटी के प्रमुख ने कहा कि पिछले सप्ताह कोल्ड स्टोरेज, राशनिंग और जहाज के रखरखाव के लिए ईंधन और बर्फ की लागत में वृद्धि हुई है। मछलियों की कीमतें भी बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि नाव देरी से आ रही हैं, इसलिए इसमें कमी आई है। उन्होंने कहा बॉम्बे डक की कीमत दोगुनी से ज्यादा है, जबकि पॉमफ्रेट और सुरमई 30-35 फीसदी महंगी हैं। अगर ऐसा ही मौसम रहा, तो कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पूर्वी हवाओं ने मुंबई से धुंध को समुद्र की ओर धकेल दिया है। यह वर्तमान में तट से 40-50 समुद्री मील दूर तक फैला है। कोहरे के चलते मछली पकड़ने वाले जहाजों के लिए दृश्यता घटकर 2 किमी रह गई है। मछुआरा संघ के प्रमुख के मुताबिक मछली पकड़ने वाली नाव और ट्रॉलर अब 100 समुद्री मील तक जाने के लिए ईंधन के पर्याप्त स्टॉक का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हैं। जैसे-जैसे मछलियां गर्म पानी की ओर पलायन कर रही हैं, पकड़ कम होती जा रही है और शहर के बाज़ारों में कीमतें बढ़ रही हैं।
मौसम के उतार-चढ़ाव ने मछलियों के प्रवास के मार्ग बदल दिए हैं, बॉम्बे डक, जिसे आमतौर पर वर्सोवा के पास पकड़ा जाता है, अब पालघर से आगे गुजरात की ओर पाया जाता है। इस तरह सार्डिन कोंकण से उत्तर की ओर मुंबई के दक्षिण की ओर चले गए हैं, उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि पैटर्न में ये बदलाव सीधे तौर पर मौसम की स्थिति से संबंधित हैं। पॉमफ्रेट मुंबई के पानी से बहुत आगे निकल गए हैं।
उन्होंने कहा कि हाल ही में मछली पकड़ने वाले जहाज और एक मालवाहक जहाज के बीच टक्कर तट के पास घने धुंध के कारण खराब दृश्यता के कारण हुई थी। उन्होंने कहा कि पश्चिमी तट की ओर जाने वाली पूर्वी हवा राज्य के कई हिस्सों से धूल और प्रदूषक ले जा रही है। यह प्रदूषण मुंबई क्षेत्र के ऊपर धुंध को समुद्र में और आगे धकेल रही है। इस बार यह केवल मुंबई का प्रदूषण नहीं है, बल्कि आसपास के अन्य शहरी इलाकों से भी है। हवा ग्रामीण इलाकों से तट की ओर बह रही हैं। मुंबई में फैली धुंध मुख्य रूप से महाराष्ट्र में पूर्वी, उत्तरी और पश्चिमी हवाओं के संपर्क में आने वाली नमी के कारण है।