ईश्वर दुबे
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Bhilai
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से शनिवार को समत्व भवन मुख्यमंत्री निवास में फिल्म अभिनेता श्री विंदु दारा सिंह ने भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने श्री विंदु दारा सिंह का शाल ओढ़ाकर अभिनन्दन किया और प्रदेश की फिल्म निर्माण नीति की जानकारी दी।
व्यू प्वाइंट से देखी दूधिया जलधारा
देवतालाब शिव मंदिर में होगा शिवलोक का निर्माण
बहुती जल प्रपात को विकसित करेगा पर्यटन विकास निगम
देवतालाब में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का होगा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उन्नयन
देवतालाब और नईगढ़ी में बनेंगे नए तहसील भवन
हनुमना उद्वहन सिंचाई परियोजना से विंध्य के चार जिलों में 1 लाख 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में होगी सिंचाई
लाड़ली बहनों को दीपावली के बाद से 1500 रुपए प्रतिमाह अंतरित किए जाएंगे
मुख्यमंत्री ने देवतालाब में 241 करोड़ 33 लाख रुपए के निर्माण कार्यों का किया शिलान्यास और लोकार्पण
रायपुर :
भारतीय संस्कृति की आत्मा संस्कृत में निहित है, जो हमें विश्व पटल पर एक विशिष्ट पहचान प्रदान करती है। संस्कृत भाषा व्याकरण, दर्शन और विज्ञान की नींव है, जो तार्किक चिंतन को बढ़ावा देती है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज राजधानी रायपुर के संजय नगर स्थित सरयूपारीण ब्राह्मण सभा भवन में आयोजित विराट संस्कृत विद्वत्-सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि संस्कृत शिक्षा आधुनिक युग में भी प्रासंगिक और उपयोगी है। संस्कृत भाषा और साहित्य हमारी विरासत का आधार हैं, जिन्हें हमें संरक्षित और संवर्धित करना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि देववाणी संस्कृत पर चर्चा के साथ यह सम्मेलन भारतीय संस्कृति, संस्कार और राष्ट्र को सुदृढ़ बनाने का एक महान प्रयास है। मुख्यमंत्री श्री साय ने संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए संस्कृत भारती छत्तीसगढ़ और सरयूपारीण ब्राह्मण सभा छत्तीसगढ़ द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा उन्हें बधाई और शुभकामनाएँ दीं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि आधुनिक शिक्षा में संस्कृत भाषा को शामिल करने से विद्यार्थियों का बौद्धिक विकास सुनिश्चित होगा। संस्कृत में वेद, उपनिषद और पुराण जैसे ग्रंथों का विशाल भंडार है, जो दर्शन, विज्ञान और जीवन-मूल्यों का संदेश देते हैं। वेदों में वर्णित आयुर्वेद, गणित और ज्योतिष आज भी प्रासंगिक हैं और शोध का विषय हो सकते हैं। इन ग्रंथों में कर्म, ज्ञान और भक्ति के सिद्धांत स्पष्ट रूप से प्रतिपादित हैं, जो आधुनिक जीवन में शांति और संतुलन ला सकते हैं।ऐसे में संस्कृत शिक्षा आधुनिक युग में भी उतनी ही प्रासंगिक और उपयोगी है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि वेदों और उपनिषदों के ज्ञान को अपनाकर हम अपनी विरासत को संजोने के साथ-साथ अपने जीवन को भी समृद्ध बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें युवाओं को संस्कृत साहित्य से जोड़ने के लिए प्रेरित करना होगा, ताकि वे इस ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुँचा सकें।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि तकनीक के माध्यम से संस्कृत शिक्षा को आकर्षक और प्रासंगिक बनाया जा सकता है। राज्य में संस्कृत विद्वानों और शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी से इस दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने आह्वान किया कि इस सम्मेलन के माध्यम से हमें संस्कृत विद्या के प्रचार-प्रसार और अगली पीढ़ी को जोड़ने का संकल्प लेना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री साय ने सरयूपारीण ब्राह्मण सभा, छत्तीसगढ़ के प्रचार पत्रक का विमोचन भी किया। विराट संस्कृत विद्वत्-सम्मेलन का आयोजन संस्कृत भारती छत्तीसगढ़ एवं सरयूपारीण ब्राह्मण सभा छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए संस्कृत भारती के प्रांताध्यक्ष डॉ. दादू भाई त्रिपाठी ने कहा कि इतिहास में ऐसे अनेक प्रमाण मिलते हैं, जिनसे सिद्ध होता है कि एक समय संस्कृत जनभाषा के रूप में प्रचलित थी। छत्तीसगढ़ी भाषा का संस्कृत से सीधा संबंध है। छत्तीसगढ़ी में पाणिनि व्याकरण की कई धातुओं का सीधा प्रयोग होता है। उन्होंने यह भी बताया कि सरगुजा क्षेत्र में सर्वाधिक आदिवासी विद्यार्थी संस्कृत की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम में सरयूपारीण ब्राह्मण समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया। इनमें गठिया रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्लेषा शुक्ला, उत्कृष्ट तैराक श्री अनन्त द्विवेदी तथा पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सच्चिदानंद शुक्ला शामिल थे।
सम्मेलन को दंडी स्वामी डॉ. इंदुभवानंद महाराज, सरयूपारीण ब्राह्मण सभा छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ. सुरेश शुक्ला और अखिल भारतीय संस्कृत भारती शिक्षण प्रमुख डॉ. श्रीराम महादेव ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर डॉ. सतेंद्र सिंह सेंगर, श्री अजय तिवारी, श्री बद्रीप्रसाद गुप्ता सहित बड़ी संख्या में संस्कृत शिक्षकगण, सामाजिक प्रतिनिधि और गणमान्यजन उपस्थित थे।
रायपुर :
मुख्यमंत्री श्री साय ने आज चन्द्रग्रहण से पूर्व मुख्यमंत्री निवास में गौमाता को रोटी और गुड़ खिलाया। इस अवसर पर उन्होंने पूरे प्रदेश की सुख-समृद्धि, शांति और कल्याण की कामना की। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि गौ-सेवा करने से उन्हें आत्मिक संतोष और नई ऊर्जा का अनुभव मिलता है।
रायपुर :
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 25 वर्षों की विकास यात्रा में आवागमन की सुविधाओं का विस्तार महत्वपूर्ण उपलब्धि रही है। जहां राजधानी रायपुर पहले से ही देश के प्रमुख शहरों से वायु मार्ग से जुड़ा था, वहीं अब बस्तर, बिलासपुर और अंबिकापुर जैसे शहर भी विमान सेवाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। विशेषकर बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में एयरपोर्ट और नियमित यात्री उड़ानों की सुविधा से क्षेत्र में विकास की नई संभावनाएं खुली हैं।
जगदलपुर स्थित माँ दंतेश्वरी हवाई अड्डा का ऐतिहासिक महत्व है। इसका निर्माण वर्ष 1939 में ब्रिटिश शासनकाल में किया गया था और इसे उस समय ‘‘जहाज भाटा’’ नाम से जाना जाता था। वर्ष 2017 में केंद्र सरकार की उड़ान योजना के अंतर्गत भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा हवाई अड्डे के उन्नयन का कार्य प्रारंभ किया गया। वर्ष 2019 में इसे 3-सी श्रेणी में अपग्रेड किया गया, जिससे एटीआर-72 जैसे विमानों का संचालन संभव हुआ। वर्ष 2020 में छत्तीसगढ़ सरकार ने हवाई अड्डे का नामकरण बस्तर की आराध्य देवी माँ दंतेश्वरी के नाम पर किया।
सितंबर 2020 में जगदलपुर से रायपुर और हैदराबाद के लिए एलायंस एयर द्वारा नियमित व्यावसायिक उड़ानें शुरू की गईं। इसके बाद दिल्ली, जबलपुर और बिलासपुर के लिए भी उड़ान सेवाएँ प्रारंभ हुईं। मार्च 2024 से इंडिगो एयरलाइंस ने जगदलपुर को हैदराबाद और रायपुर से जोड़ते हुए दैनिक सेवा शुरू की। पैरामिलिट्री बलों के लिए विशेष दिल्ली सेवा का संचालन भी किया जा रहा है।
वर्तमान में जगदलपुर एयरपोर्ट से अब तक लगभग तीन लाख यात्री हवाई यात्रा कर चुके हैं। इससे न केवल स्थानीय नागरिकों को सुविधा मिली है, बल्कि व्यापार, पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। गंभीर मरीजों को बड़े शहरों तक शीघ्र उपचार हेतु पहुंचाना संभव हो पाया है। विद्यार्थी और युवा रोजगार एवं उच्च शिक्षा के लिए बड़े शहरों तक आसानी से पहुँच रहे हैं।
बस्तर के हस्तशिल्प, वनोपज और हर्बल उत्पाद अब देश के बड़े बाजारों तक सरलता से पहुँच रहे हैं। वहीं चित्रकूट और तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान और ऐतिहासिक बस्तर दशहरा जैसे पर्यटन स्थलों तक देश-विदेश से पर्यटकों की पहुँच भी सहज हुई है।
जगदलपुर एयरपोर्ट का संचालन बस्तर अंचल के लिए विकास का नया द्वार सिद्ध हो रहा है। इससे आंतरिक क्षेत्रों तक आधुनिक सुविधाएँ पहुँच रही हैं और बस्तर को राष्ट्रीय परिदृश्य पर नई पहचान मिल रही है। आने वाले समय में यह एयरपोर्ट क्षेत्र की आर्थिक और सामाजिक प्रगति का महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा।
रायपुर :
छत्तीसगढ़ के वन एवं परिवहन मंत्री श्री केदार कश्यप ने आज नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र में 91 लाख 80 हजार रुपये की लागत से होने वाले विकास कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण किया। इनमें पुलिया, महतारी सदन, बाजार शेड, शालाओं में अतिरिक्त कक्ष, आंगनबाड़ी केंद्र सहित अन्य निर्माण कार्य शामिल हैं।
मंत्री श्री कश्यप ने ग्राम पंचायत केशरपाल स्थित दंतेश्वरी मंदिर पारा में 3.30 लाख रुपये की लागत से पुलिया निर्माण तथा 30 लाख रुपये की लागत से महतारी सदन निर्माण का भूमिपूजन किया। इसके साथ ही ग्राम पंचायत बनियागांव में 23.51 लाख रुपये की लागत से बाजार शेड निर्माण, सीसी रोड का लोकार्पण किया। उच्च प्राथमिक शाला बनियागांव में 8.07 लाख रुपये की लागत से अतिरिक्त कक्ष निर्माण तथा ग्राम पंचायत नंदपुरा में 10 लाख रुपये की लागत से आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र और प्राथमिक शाला नंदपुरा में 8.07 लाख रुपये की लागत से अतिरिक्त कक्ष निर्माण कार्यों का भूमिपूजन किया।
मंत्री श्री कश्यप ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर क्षेत्र का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने सड़क, पुल-पुलिया, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत संरचना के विकास को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी है। नारायणपुर-कोंडागांव मार्ग का निर्माण कार्य जारी है, वहीं अंतागढ़-नारायणपुर और ओरछा-नारायणपुर मार्ग निर्माण कार्यों की भी स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि बस्तर क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए 45 आंगनबाड़ी केंद्र, नवीन स्वास्थ्य केंद्र, पीएससी भवन और महतारी सदन स्वीकृत किए गए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हजारों आवास स्वीकृत हुए हैं।
वन मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार का लक्ष्य है कि हर गांव तक सड़क, पुलिया, बाजार शेड, हाई मास्ट लाइट और डिजिटल केंद्र जैसी बुनियादी सुविधाएं समय पर पहुँचें। उन्होंने जनता को आश्वस्त किया कि शासन की सभी योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों तक समय पर पहुँचाया जाएगा। इस अवसर पर जनपद अध्यक्ष श्री संतोष बघेल, जिला पंचायत सदस्य श्री निर्देश दिवान, श्रीमती शकुंतला कश्यप, श्री रूपसिंह मंडावी, श्री विजय पांडेय, मंडल अध्यक्ष श्री प्रवीण सांखला सहित अनेक जनप्रतिनिधि, पदाधिकारी, कार्यकर्ता एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।
रायपुर :
उप मुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री श्री विजय शर्मा के कवर्धा विधायक कार्यालय में आज एक भावुक पल देखने को मिला। जब बोड़ला विकासखंड के ग्राम घोंघा निवासी श्री अमर मरकाम, जो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं। उन्होंने अपनी पीड़ा उप मुख्यमंत्री के समक्ष व्यक्त की। उन्होंने बताया कि बाहर आने-जाने में उन्हें अत्यधिक कठिनाई होती है और उन्हें स्कूटी की आवश्यकता है। श्री अमर मरकाम की व्यथा सुनते ही उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने अत्यंत संवेदनशीलता का परिचय देते हुए तत्काल उन्हें स्कूटी प्रदान की।
उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य केवल योजनाएं बनाना नहीं, बल्कि उन्हें जरूरतमंदों तक वास्तविक रूप से पहुंचाना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता समाज के अंतिम छोर तक विकास और सुविधा पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि जो लोग अपनी असमर्थताओं के कारण कठिनाई झेल रहे हैं, उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना ही सच्ची जनसेवा है। उप मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार समाज के कमजोर, वंचित और दिव्यांग वर्ग के साथ खड़ी है। सरकार लगातार ऐसे कदम उठा रही है, जिससे हर व्यक्ति सम्मानपूर्वक और आत्मनिर्भर जीवन जी सके।
श्री अमर मरकाम को दी गई स्कूटी केवल एक सहायता नहीं, बल्कि सरकार की संवेदनशीलता और आमजन के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इस पहल ने पूरे जिले में संदेश दिया है कि जरूरतमंद की आवाज सरकार तक न केवल पहुंचती है, बल्कि उस पर त्वरित कार्रवाई भी होती है।
*भारतीय संस्कृति की आत्मा है संस्कृत, हमें इसे नई पीढ़ी तक पहुँचाना होगा : मुख्यमंत्री श्री साय*
*संस्कृत हमारी विरासत का आधार, इसे संरक्षित करना सबकी जिम्मेदारी : मुख्यमंत्री*
*मुख्यमंत्री श्री साय विराट संस्कृत विद्वत्-सम्मेलन में हुए शामिल*
रायपुर, 07 सितंबर 2025/ भारतीय संस्कृति की आत्मा संस्कृत में निहित है, जो हमें विश्व पटल पर एक विशिष्ट पहचान प्रदान करती है। संस्कृत भाषा व्याकरण, दर्शन और विज्ञान की नींव है, जो तार्किक चिंतन को बढ़ावा देती है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज राजधानी रायपुर के संजय नगर स्थित सरयूपारीण ब्राह्मण सभा भवन में आयोजित विराट संस्कृत विद्वत्-सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि संस्कृत शिक्षा आधुनिक युग में भी प्रासंगिक और उपयोगी है। संस्कृत भाषा और साहित्य हमारी विरासत का आधार हैं, जिन्हें हमें संरक्षित और संवर्धित करना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि देववाणी संस्कृत पर चर्चा के साथ यह सम्मेलन भारतीय संस्कृति, संस्कार और राष्ट्र को सुदृढ़ बनाने का एक महान प्रयास है। मुख्यमंत्री श्री साय ने संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए संस्कृत भारती छत्तीसगढ़ और सरयूपारीण ब्राह्मण सभा छत्तीसगढ़ द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा उन्हें बधाई और शुभकामनाएँ दीं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि आधुनिक शिक्षा में संस्कृत भाषा को शामिल करने से विद्यार्थियों का बौद्धिक विकास सुनिश्चित होगा। संस्कृत में वेद, उपनिषद और पुराण जैसे ग्रंथों का विशाल भंडार है, जो दर्शन, विज्ञान और जीवन-मूल्यों का संदेश देते हैं। वेदों में वर्णित आयुर्वेद, गणित और ज्योतिष आज भी प्रासंगिक हैं और शोध का विषय हो सकते हैं। इन ग्रंथों में कर्म, ज्ञान और भक्ति के सिद्धांत स्पष्ट रूप से प्रतिपादित हैं, जो आधुनिक जीवन में शांति और संतुलन ला सकते हैं।ऐसे में संस्कृत शिक्षा आधुनिक युग में भी उतनी ही प्रासंगिक और उपयोगी है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि वेदों और उपनिषदों के ज्ञान को अपनाकर हम अपनी विरासत को संजोने के साथ-साथ अपने जीवन को भी समृद्ध बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें युवाओं को संस्कृत साहित्य से जोड़ने के लिए प्रेरित करना होगा, ताकि वे इस ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुँचा सकें।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि तकनीक के माध्यम से संस्कृत शिक्षा को आकर्षक और प्रासंगिक बनाया जा सकता है। राज्य में संस्कृत विद्वानों और शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी से इस दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने आह्वान किया कि इस सम्मेलन के माध्यम से हमें संस्कृत विद्या के प्रचार-प्रसार और अगली पीढ़ी को जोड़ने का संकल्प लेना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री साय ने सरयूपारीण ब्राह्मण सभा, छत्तीसगढ़ के प्रचार पत्रक का विमोचन भी किया। विराट संस्कृत विद्वत्-सम्मेलन का आयोजन संस्कृत भारती छत्तीसगढ़ एवं सरयूपारीण ब्राह्मण सभा छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए संस्कृत भारती के प्रांताध्यक्ष डॉ. दादू भाई त्रिपाठी ने कहा कि इतिहास में ऐसे अनेक प्रमाण मिलते हैं, जिनसे सिद्ध होता है कि एक समय संस्कृत जनभाषा के रूप में प्रचलित थी। छत्तीसगढ़ी भाषा का संस्कृत से सीधा संबंध है। छत्तीसगढ़ी में पाणिनि व्याकरण की कई धातुओं का सीधा प्रयोग होता है। उन्होंने यह भी बताया कि सरगुजा क्षेत्र में सर्वाधिक आदिवासी विद्यार्थी संस्कृत की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम में सरयूपारीण ब्राह्मण समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया। इनमें गठिया रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्लेषा शुक्ला, उत्कृष्ट तैराक श्री अनन्त द्विवेदी तथा पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सच्चिदानंद शुक्ला शामिल थे।
सम्मेलन को दंडी स्वामी डॉ. इंदुभवानंद महाराज, सरयूपारीण ब्राह्मण सभा छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ. सुरेश शुक्ला और अखिल भारतीय संस्कृत भारती शिक्षण प्रमुख डॉ. श्रीराम महादेव ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर डॉ. सतेंद्र सिंह सेंगर, श्री अजय तिवारी, श्री बद्रीप्रसाद गुप्ता सहित बड़ी संख्या में संस्कृत शिक्षकगण, सामाजिक प्रतिनिधि और गणमान्यजन उपस्थित थे।
मुंबई: ‘दिल मद्रासी’ मूल रूप से तमिल फिल्म ‘मध्रासी’ का हिंदी वर्जन है। इसे एआर मुरगदास ने डायरेक्ट किया है और यह हल्की-फुल्की एक्शन-थ्रिलर के रूप में सामने आई है।
कहानी
रघुराम (शिवकार्तिकेयन) एक दुर्लभ मेडिकल कंडीशन और भ्रम विकार से जूझ रहा है। उसका अतीत दुखभरा है, लेकिन मालती (रुक्मिणी वसंत) उसके जीवन में थोड़ी खुशी और उम्मीद लेकर आती है। एनआईए अधिकारी प्रेम (बीजू मेनन) और उनकी टीम एक उत्तर भारतीय गिरोह को हथियार तस्करी में शामिल होने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। रघुराम और प्रेम की मुलाकात तब होती है जब दोनों असफलताओं से गुजर रहे होते हैं। रघुराम का आत्महत्या का प्रयास और प्रेम का मिशन। इस मुठभेड़ से कहानी में ट्विस्ट और थोड़ी ड्रामा आती है, लेकिन पूरी तरह प्रभावशाली नहीं।
अभिनय