जब कोई राजा युद्ध पर निकलता है तो युद्ध के पहले मैदान में आनेवाले छोटे-बड़े सभी राज्यों को अपने साथ मिला लेता है। अपनी ताकत बढ़ाता है, अपनी सेना की शक्ति बढ़ाता है और घोड़े की लगाम कसकर मैदान मारता है उसके बाद उसी मजबूती से सिंहासन पर बैठकर राजपाट चलाता है। मोदी सरकार का कामकाज भी ऐसे ही विजयी सम्राट की तरह शुरू है। देशवासियों को इसका अनुभव वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन द्वारा शुक्रवार को पेश किए गए पहले बजट से आ गया होगा। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला बजट है। किसी भी सरकार द्वारा जीत के बाद जिस गंभीरता से बजट पेश किया जाना चाहिए उसी वास्तविक पद्धति से और आगामी ५ सालों की दिशा तय करनेवाला यह बजट है। पहली महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन के सवा दो घंटे के बजटीय भाषण का स्वागत करते हुए आय और व्यय के विवरण में जो कड़ी मेहनत की उसकी भी तारीफ की जानी चाहिए। हालांकि ऐसी मेहनत करते हुए पेट्रोल, डीजल और एक्साइज ड्यूटी में एक रुपए की बढ़ोत्तरी कर महंगाई की आग में तेल डालना आवश्यक था क्या? ऐसा सवाल उठ सकता है। लेकिन पेट्रोल और डीजल पर १०-२० प्रकार के भारी-भरकम टैक्स से तिजोरी में आनेवाले पैसों पर से सरकार अधिकार छोड़ने को तैयार नहीं। मतलब जनता को चुनाव के पहले और चुनाव के बाद के बजट का फर्क समझ लेना चाहिए। चुनाव के पहले मतों का विचार करना अपरिहार्य होता है और चुनाव के बाद बजट में देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास किया जाता है। चुनाव के दौरान की गई असंख्य घोषणाओं की पूर्ति के लिए जो प्रचंड राशि की आवश्यकता होती है उसका इंतजाम पहले बजट के माध्यम से ही किया जाता है। वित्तमंत्री ने मध्यमवर्गीय परिवारों को नई सहूलियतें भले ही न दी हों लेकिन दो से सात करोड़ की वार्षिक आयवाले पूंजीपतियों पर अधिभार लगाकर तिजोरी भरने का चालाकी भरा काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समय-समय पर घोषित कई महत्वाकांक्षी योजनाएं, खेती और उद्योग क्षेत्र के साथ ही मूलभूत सुविधाओं की परियोजनाएं और अन्य आश्वासनों को पूर्ण करने के लिए जो प्रचंड राशि लगनी है, उसके लिए वित्त मंत्री ने आर्थिक व्यवस्था कर ही ली। लेकिन उसके लिए आवश्यक राजस्व सरकार की तिजोरी में वैâसे आएगा, इसका भी खयाल रखा। आईटी रिटर्न भरने के लिए पैन कार्ड की आवश्यकता को वित्तमंत्री ने रद्द कर दिया है। उसके बदले आधार कार्ड के माध्यम से आईटी रिटर्न भरा जा सकेगा। करदाताओं के लिए ये आसान काम हुआ है। पानी और गैस के लिए नेशनल ग्रिड, २०२२ तक देश के हर गांव में बिजली और निचले स्तर तक हर बेघर को घर की घोषणा कर वित्तमंत्री थमी नहीं बल्कि उसके लिए बड़ी राशि की व्यवस्था भी की। ‘स्वच्छ भारत’ योजना के अंतर्गत विगत ५ वर्षों में सरकार ने ९.६० करोड़ शौचालय बनाए और कार्यों की गति को देखते हुए अक्टूबर, २०१९ के बाद देश में कोई भी खुले में शौच नहीं करेगा, ऐसा भी वित्तमंत्री ने कहा है। देश की महिलाओं के लिए ये बहुत बड़ी राहत की बात है। प्रधानमंत्री मोदी ने २०१६ में देश के किसानों की आय दोगुनी करने की घोषणा की थी। उसी को जोड़ते हुए वित्तमंत्री ने किसानों को ऊर्जा दाता बनाने का संकल्प व्यक्त किया है। आय पर आधारित संकल्प से लेकर तमाम योजनाओं का लाभ किसानों को मिलेगा। इसके बावजूद किसानों की आत्महत्याओं का दौर आज भी क्यों नहीं थमा इसका कारण भी सरकार को ढूंढ़ना ही पड़ेगा। ‘जलशक्ति मंत्रालय’ द्वारा २०२४ तक देश के हर गांव तक पाइप लाइन द्वारा शुद्ध पानी पहुंचाने की घोषणा इस बजट की सबसे बड़ी विशेषता है। इसे अमल में लाया गया तो पानी के लिए ग्रामीण जनता में मची हाहाकार हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी। १६ नवंबर, १९४७ से लेकर आज तक कुल ८८ बजट देश के विविध वित्त मंत्रियों ने पेश किए हैं। उसमें इस बार का नया ‘बहीखाता’ बढ़ गया है। बजट का नाम बदलने में कोई आपत्ति नहीं लेकिन देश के ८९वें बजट में भी बिजली, सड़क और पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के आसपास बजट के घूमने को क्या कहेंगे? सरकार की योजना २०२५ तक देश की अर्थव्यवस्था को ५ ट्रिलियन डॉलर्स तक ले जाने की है। तब तक ये मूलभूत समस्याएं हमेशा के लिए समाप्त हो चुकी होंगी, ऐसी आशा की किरण अवश्य दिखाई दे रही है।