ईश्वर दुबे
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Bhilai
चंडीगढ़ । हरियाणा-पंजाब के बीच विधानसभा के हिस्से को लेकर छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों सूबों का विवाद पंजाब के राज्यपाल वीपी बदनौर के दरबार में पहुंच गया। विवाद को सुलझाने के लिए तीन वरिष्ठ अधिकारियों की समिति गठित की गई जाएगी। इस समिति में दोनों राज्यों के विधानसभा सचिव और चंडीगढ़ प्रशासन के मुख्य अभियंता शामिल होंगे। समिति को एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देनी होगी।
विधानसभा में हरियाणा के हिस्से को लेकर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक वीपी बदनौर को पत्र लिखा और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पूरे मामले से अवगत कराया। पंजाब राज्यपाल ने विस अध्यक्ष को भरोसा दिलाया कि दोनों सूबों के मामलों को सुलझाने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की जाएगी। पंजाब के राज्यपाल ने कहा कि समिति की रिपोर्ट के बाद उसे अमलीजामा पहनाया जाएगा।
हरियाणा और पंजाब के विधानसभा सचिवालय एक ही भवन में हैं। 17 अक्तूबर 1966 के दोनों राज्यों के बीच हुए समझौते के अनुसार जितना हिस्सा हरियाणा को मिलना चाहिए था, वह आज तक नहीं मिल सका। ज्ञानचंद गुप्ता अपने कार्यकाल के शुरू से ही हरियाणा का हिस्सा लेने के लिए प्रयासरत हैं। इसके तहत चंडीगढ़ प्रशासक के मुख्य अभियंता को अर्ध सरकारी पत्र लिखा गया था, लेकिन इस पर क्या एक्शन हुआ, चंडीगढ़ प्रशासन ने इसकी कोई जानकारी नहीं दी।
हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने पिछले साल 6 दिसंबर को भी पंजाब विधानसभा अध्यक्ष केपी सिंह राणा से औपचारिक मुलाकात कर हरियाणा का हिस्सा देने की मांग की थी। इस दौरान राणा को लिखित पत्र भी सौंपा गया, लेकिन बाद में पंजाब ने कम जगह का हवाला देते हुए और कमरे देने से इंकार कर दिया।
ज्ञानचंद गुप्ता ने पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को बताया कि उस मुलाकात के दौरान पंजाब की ओर से हरियाणा का हिस्सा देने का आश्वासन दिया गया था। चंडीगढ़ के सेक्टर एक स्थित विधान भवन में कुल 66 हजार 430 वर्ग फीट क्षेत्र है। 17 अक्तूबर 1966 को चंडीगढ़ के कैपिटल प्रोजेक्ट के मुख्य अभियंता की मौजूदगी में हरियाणा और पंजाब के बीच हुए समझौते के अनुसार इसमें से 30 हजार 890 वर्ग फीट क्षेत्र पंजाब विधानसभा सचिवालय के लिए, दस हजार 910 वर्ग फीट क्षेत्र पंजाब विधान परिषद और 24 हजार 630 वर्ग फीट क्षेत्र हरियाणा विधानसभा सचिवालय के लिए निर्धारित हुआ था। इस प्रकार 66 हजार 430 वर्ग फीट क्षेत्र में से हरियाणा मात्र 24 हजार 630 वर्ग फीट क्षेत्र की मांग कर रहा है।