गाइडलाइन दर में कमी और 5 डिसमिल से कम की जमीन में खरीद-फरोख्त ने रियल एस्टेट को दी संजीवनी Featured

पिछले साल की तुलना में मार्केट में 15 फीसदी विस्तार, गणेश पूजा के बाद रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में लोगों की रुचि बढ़ी, बिल्डरों की परेशानी भी घटी
दुर्ग। रियल एस्टेट प्रोजेक्टस में खरीदी के उफान का समय त्योहारी सीजन होता है लेकिन पिछले साल गणेशोत्सव के बाद दीपावली तक का सीजन बिल्डरों पर भारी था। घर का सपना लिये हुए कम ही लोग मकान का सपना पूरा करने की हिम्मत जुटा पा रहे थे। भिलाई के बिल्डर बताते हैं कि स्थिति यह थी कि लेबर पेमेंट कर पाने में दिक्कत हो रही थी। उन्हें ऐसी आशंका हो रही थी कि यह मंदी अधिक टिक गई तो उन्हें अपना कारोबार समेटना पड़ेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने आते ही ऐसी घोषणाएं की जिससे परिदृश्य पूरी तरह बदल गया। अब बिल्डर बताते हैं कि उनके धंधे में पिछले साल की तुलना में लगभग 15 फीसदी तेजी है। गणेशोत्सव के बाद से फ्लैट्स में बुकिंग बढ़ी है। आम आदमी भी जो बिना बिल्डर की सहायता से सीधे अपना मकान बनवा रहे हैं गाइडलाइन दर में कमी वरदान की तरह साबित हुई है।
गाइडलाइन दर में 30 फीसदी की कमी-सरकार ने गाइडलाइन दरों को युक्तियुक्त करते हुए इसमें 30 प्रतिशत तक की कटौती की। इसका जमीन की खरीद.फरोख्त पर अच्छा असर हुआ है। रियल एस्टेट से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि गाइडलाइन दरों में कटौती होने से ड्यूटी का लगने वाला बड़ा भार कम हो गया। मकान का सपना पूरा करने वाले लोग इस दिशा में बढ़े। पूरे प्रदेश का आंकड़ा देखें तो इस साल 25 जुलाई को शासन द्वारा गाइडलाइन में कमी करने के बाद 25 जुलाई से 11 अक्टूबर तक 44 हजार 368 रजिस्ट्रेशन हुए जिससे सरकार को 252 करोड़ 70 लाख रुपए की आय हुई जबकि इसी अवधि में पिछले वर्ष 29 हजार 744 रजिस्ट्रेशन हुए थे जिससे सरकार को 155 करोड़ रुपए की आय हुई थी। दुर्ग जिले से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2019 से सितंबर 2019 तक 14 हजार 81 रजिस्ट्रेशन हुए जबकि इसी अवधि में पिछले साल 9 हजार 192 रजिस्ट्रेशन हुए थे। रियल एस्टेट से जुड़े कारोबारी रिसाली निवासी श्री एमके साहू ने चर्चा में बताया कि समय.समय पर जमीन की बाजार  गाइडलाइन के संबंध में समीक्षा कर इन्हें यु्क्तियुक्त करना आवश्यक होता है कि ताकि मार्केट इससे संतुलित रह सके।
मकानों के विक्रय पर पंजीयन शुल्क में 2 प्रतिशत की छूट. रियल एस्टेट से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि कई बार लोग फ्लैट्स के संबंध में पूछताछ करते हैं यह उनके बजट में भी होता है लेकिन विक्रय में पंजीयन शुल्क की वजह से पीछे हट जाते हैं। मकान के विक्रय पर राज्य शासन द्वारा पंजीयन शुल्क में दो प्रतिशत की छूट का अच्छा असर हुआ है। बिल्डर्स ने बताया कि इसके अलावा एफोर्डेबल हाउसिंग में जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से एक प्रतिशत लाने एवं उसके बाद के सेगमेंट में जीएसटी दर 12 प्रतिशत से पांच प्रतिशत तक लाने से भी रियल एस्टेट में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उल्लेखनीय है कि कर्जमाफी और 2500 रुपए में धान खरीदी से व्यापारिक जगत को भी काफी लाभ पहुंचा है। मार्केट की सकारात्मक दिशा का असर हाउसिंग सेक्टर में भी पडऩा स्वाभाविक है।
 ये है प्रदेश की स्थिति- छोटे भूखंडों की खरीद.फरोख्त पर रोक हटाये जाने से 1 जनवरी 2019 से 11 अक्टूबर 2019 तक 74 हजार 673 दस्तावेजों का पंजीयन,25 जुलाई 2019 से गाइडलाइन दर में 30 फीसदी कमी, इससे 25 जुलाई से 11 अक्टूबर 2019 की अवधि तक 44 हजार 368 दस्तावेजों का पंजीयन और 252 करोड़ 70 लाख रुपए का राजस्व प्राप्तए पिछले साल इसी अवधि में 29 हजार 744 दस्तावेजों के पंजीयन से 155 करोड़ रुपए का राजस्व हुआ था प्राप्त।

Rate this item
(0 votes)

Ads

फेसबुक